नयी दिल्ली, 18 दिसंबर उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश के सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल और छह अन्य की इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा। उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ दर्ज कथित धर्म परिवर्तन संबंधी प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया था।
गिरफ्तारी के डर से, कुलपति और अन्य ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जिसने उच्च न्यायालय के 11 दिसंबर के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और केवी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ का गठन किया है। उच्च न्यायालय के 11 दिसंबर के आदेश में उनसे 20 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करने को कहा गया है।
जिस मामले में उन्होंने राहत मांगी है वह बलात्कार, अवैध धर्म परिवर्तन और अनैतिक तस्करी के आरोपों से संबंधित है। उनके खिलाफ प्राथमिकी 4 नवंबर, 2023 को उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक महिला ने दर्ज कराई थी।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘चूंकि याचिकाकर्ताओं पर जघन्य अपराध का आरोप है, इसलिए हम निर्देश देते हैं कि उन्हें 20 दिसंबर, 2023 को या उससे पहले अदालत के सामने आत्मसमर्पण करना चाहिए और नियमित जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए। आरोपी याचिकाकर्ताओं की जमानत अर्जी पर संबंधित अदालत द्वारा किसी भी टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना यथासंभव शीघ्रता से गुण-दोष के आधार पर सुनवाई की जाएगी और निर्णय लिया जाएगा।’’
विश्वविद्यालय की पूर्व संविदा कर्मचारी महिला ने उन पर विश्वविद्यालय में नौकरी की पेशकश के बाद यौन शोषण और धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया था।
लाल और अन्य आरोपी, जो विश्वविद्यालय के कर्मचारी हैं, ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी कि महिला द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी दुर्भावना से प्रेरित है क्योंकि उसे बर्खास्त कर दिया गया था।
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