ताजा खबरें | सत्ता में आने पर अवध क्षेत्र को अलग राज्य बनाएंगे : मायावती

लखनऊ, 13 मई बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोमवार को कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद उनकी पार्टी के केन्द्र की सत्ता में आने पर 'अवध क्षेत्र' को अलग राज्य बनाया जाएगा।

मायावती ने लखनऊ, मोहनलालगंज, रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट से पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में आयोजित एक जनसभा में उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के अपने पुराने रुख को दोहराते हुए कहा, ''लखनऊ से अवध क्षेत्र के लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि अवध को अलग राज्य बनाया जाए। जब केंद्र में हमारी पार्टी सत्ता में आएगी तो अवध क्षेत्र को अलग से राज्य बनाया जाएगा, जिसमें लखनऊ भी आता है।''

नवंबर 2011 में मायावती की तत्कालीन सरकार ने उत्तर प्रदेश को चार राज्यों पूर्वांचल, पश्चिम प्रदेश, अवध प्रदेश और बुन्देलखंड में बांटने का विधेयक पारित किया था।

हालांकि, केंद्र की तत्कालीन कांग्रेसनीत गठबंधन सरकार ने कई स्पष्टीकरण मांगते हुए उसे राज्य सरकार के पास वापस भेज दिया था।

बसपा प्रमुख ने केंद्र की सत्ता में आने पर उत्तर प्रदेश में अपने चार बार के शासन की ही तरह सर्वजन हितकारी काम करने का इरादा भी जताया।

मायावती ने अपने भाषण में आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य विरोधी दलों की आलोचना करते हुए कहा कि जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूरे प्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) वर्ग के सरकारी कर्मचारियों के पदोन्नति में आरक्षण को पूरी तरह खत्म कर दिया था।

उन्होंने कहा कि जब पदोन्नति में आरक्षण को प्रभावी बनाने के लिए बसपा संसद में संशोधन विधेयक लाई तो उस वक्त कांग्रेस सत्ता में थी और भाजपा विपक्ष में। उन्होंने कहा कि उस वक्त दोनों पार्टियां अंदरखाने मिल गईं और सपा को आगे करके उन्होंने इस विधेयक को पारित नहीं होने दिया।

उन्होंने कहा कि आज जब चुनाव हो रहा है तो यह सभी पार्टियां आरक्षण देने की बात कह रही हैं।

उन्होंने यह भी दावा किया कि देश के प्रथम कानून मंत्री डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से एससी-एसटी वर्गों के आरक्षण का कोटा पूरी तरह भरे जाने के लिये एक आयोग बनाने के लिए कहा था मगर कांग्रेस इसके लिये तैयार नहीं हुई।

मायावती ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप आंबेडकर को पद से इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने कहा कि इसी तरह केंद्र की तत्कालीन वी.पी. सिंह सरकार द्वारा मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किये जाने का कांग्रेस और भाजपा समेत तमाम विरोधी पार्टियों ने डटकर विरोध किया था।

उन्होंने कहा कि इन वर्गों के प्रति इन पार्टियों की मानसिकता आज तक नहीं बदली है।

बसपा प्रमुख ने कहा कि केंद्र और राज्यों में विरोधी पार्टियों की सरकारों के शासन में निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था किए बिना ही बड़े-बड़े पूंजीपतियों को काम दिए जाने के कारण पिछड़ों और दलित वर्गों को आरक्षण का लाभ बहुत कम मिल पा रहा है।

केन्द्र सरकार की मुफ्त राशन योजना का जिक्र करते हुए मायावती ने कहा कि आप लोगों को जो थोड़ा सा मुफ्त में राशन दिया जा रहा है, उसके बदले में भाजपा के लोग चुनाव में गांव-गांव जाकर कह रहे हैं कि आपने भाजपा का नमक खाया है, उसके बदले में वोट देना चाहिए।

मायावती ने कहा, ‘‘मैं आप लोगों को बताना चाहती हूं कि आप लोगों को जो राशन मुफ्त में दिया जाता है वह भाजपा और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के लोगों की जेब से नहीं बल्कि जनता से प्राप्त कर के पैसे से आता है। यह कोई भाजपा और आरएसएस की मेहरबानी नहीं है। आपने अपना नमक खाया है। भाजपा और आरएसएस का नहीं।''

सलीम

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