लखनऊ, 18 जून रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को राजनीति और नौकरशाही के बीच विश्वास का संकट होने का दावा किया और कहा कि जिस दिन अधिकारी 'हां' और नेता 'ना' कहना सीख जाएंगे, उस दिन विश्वास का संकट दूर हो जाएगा।
रक्षा मंत्री ने रविवार को यहां उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में चयनित सफल अभ्यर्थियों के स्वागत के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा जनता में आम धारणा है कि नौकरशाह जनता के साथ उस तरह व्यवहार नहीं करते, जैसा उन्हें करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ''जिस दिन अधिकारी 'हां' और नेता 'ना' कहना सीख जाएंगे, उस दिन विश्वास का संकट दूर हो जाएगा।''
सिंह ने कहा कि अधिकारी देश हित और जनहित का संकल्प लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने नौकरशाहों को सजग करते हुए कहा कि ''आईएएस होने का अहंकार मन में नहीं आना चाहिए, यह कहने का साहस मैं इसलिए जुटा पा रहा हूं कि राजनीति में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का पद छोड़कर कोई ऐसा पद नहीं बचा है जिसे मैंने हासिल नहीं किया।''
सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति व्यक्ति नहीं होते, बल्कि संस्था होते हैं। उन्होंने जीवन में अहंकार से बचने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि कोई निर्णय लेते समय महात्मा गांधी के उस बयान को याद रखें, जिसमें उन्होंने कहा था कि आप सबसे गरीब आदमी का चेहरा याद करें और अपने दिल से पूछें कि जो कदम उठा रहे हो वह उसके लिए कितना उपयोगी और लाभकारी होगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि जिस दिन से आप इस सोच के साथ काम करना शुरू करेंगे, यकीन मानिए आपको आत्म-संतुष्टि की समझ आ जाएगी।
उन्होंने आईएएस में चयनित अभ्यर्थियों को बधाई देते हुए कहा, '' मैं भी आईएएस की तैयारी कर रहा था, लेकिन यह चर्चा करने में संकोच नहीं है कि मैं थोड़ा उग्र तेवर का था और किसी ने कुछ गड़बड़ किया तो लड़ जाता था।''
लखनऊ के स्थानीय सांसद राजनाथ ने उप्र के मुख्यमंत्री और देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार और नरेन्द्र मोदी की सरकार में अपने व्यापक अनुभवों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ''आज जब मैं यहां आपके बीच आया तो सोचा कि बच्चों की आंखों से आंखें मिलीं तो उनकी आंखों में क्या देखूंगा। मैंने कहा, इन बच्चों की आंखों में भारत का भविष्य देखूंगा।’’
सिंह ने इस अवसर पर कहा कि पिछले नौ सालों में अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का कद बढ़ा है और दुनिया अब इसे ध्यान से सुनती है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी महाशक्ति भारत के प्रधानमंत्री के स्वागत और मेजबानी के लिए लगन से तैयारी करती है और विदेशी मीडिया देश की सफलता की कहानी के बारे में बात करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘आपके कंधों पर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आप ऐसे समय में सेवा करने जा रहे हैं जब देश अमृत काल में प्रवेश कर चुका है। जब आप 2047 में अपने कार्यकाल के अंत में होंगे, तब देश अपनी स्वतंत्रता का 100वां वर्ष मना रहा होगा।’’
अपने भीतर के बच्चे को हमेशा जीवित रखने का सुझाव देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘आपके लिए अलग-अलग तरह की चुनौतियां होंगी, लेकिन मैं आपसे आग्रह करता हूं कि चाहे कितनी भी चुनौतियां और कठिनाइयां क्यों न आ जाएं, आपको कभी भी अपने भीतर के बच्चे को मरने नहीं देना चाहिए। आपके भीतर का बच्चा हमेशा जिंदा रहना चाहिए।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)