नयी दिल्ली,10 अप्रैल कोरोना वायरस संक्रमण की जांच की क्षमता बढ़ाने की कोशिशों के तहत भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने ‘दवा-प्रतिरोधी (डी-आर) टीबी’ की जांच के लिये इस्तेमाल की जाने वाली नैदानिक मशीन का इस्तेमाल करने की इजाजत दी है।
शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान इकाई ने शुक्रवार को कहा कि आईसीएमआर ने ‘ट्रूलैबटीएम वर्कस्टेशन पर ट्रूनैटटीएम बीटा सीओवी जांच’ को मान्यता दी है और उसने इसकी स्क्रीनिंग टेस्ट के तौर पर सिफारिश की है।
इस सिलसिले में एक दिशानिर्देश जारी करते हुए आईसीएमआर ने कहा कि गले/नाक का स्वाब किट के साथ उपलब्ध वायरस लायसिस बफर से ‘वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम’ (वीटीएम) में एकत्र किया जाएगा।
इसमें कहा गया है, ‘‘पहले के अध्ययनों में यह प्रदर्शित हुआ है कि वायरस लाइसिस बफर ने निपाह और एच1एन1 वायरस को नियंत्रित किया है। वायरस लाइसिस बफर के जरिये सार्स-सीओवी-2 को नियंत्रित करने के बाद वायरस आरएनए की स्थिरता के नतीजों का आईसीएमआर-एनआईवी,पुणे से इंतजार है।’’
दिशानिर्देश में कहा गया है, ‘‘तब तक, ट्रूनैट बीटा जांच सभी जैव सुरक्षा एहतियातों के साथ ही प्रयोगशालाओं में बीएसएल 2 और बीएसएल 3 इकाइयों में की जानी चाहिए।’’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण से देश में मरने वाले लोगों की संख्या 199 पहुंच गई है और संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ कर 6,412 हो गई है।
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