जरुरी जानकारी | प्राकृतिक खेती का मॉडल तैयार करेंगे आईसीएआर, कृषि संस्थान: कैलाश चौधरी

कुरुक्षेत्र, 15 सितंबर केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश के प्रत्येक किसान को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और कृषि संस्थानों के माध्यम से प्राकृतिक खेती का मॉडल तैयार किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को अपनाने और शोध करने के लिए देश के 425 कृषि विज्ञान केंद्रों और 20 बड़े कृषि संस्थानों की 25 प्रतिशत भूमि का उपयोग किया जाएगा.

इतना ही नहीं देश के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कक्षा तीन से पीएचडी तक प्राकृतिक खेती पर पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए एक समिति भी बनाई गई है। उन्होंने कहा कि इस समिति की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद प्राकृतिक खेती के विषय को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

चौधरी यहां कैंथला गांव के गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती के तहत 180 एकड़ भूमि का दौरा करने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

इससे पहले चौधरी गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, कृषि मंत्रालय के सचिव मनोज आहूजा, एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश शकलानी ने भी गुरुकुल कुरुक्षेत्र के गांव कैंथला का दौरा किया।

आचार्य देवव्रत ने सभी अतिथियों को प्राकृतिक खेती की बारीकियों से अवगत कराते हुए इसके लाभों के बारे में विस्तार से बताया।

चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आय दोगुनी करने के उद्देश्य से बजट में प्राकृतिक खेती के लिए अलग से प्रावधान किया है।

उन्होंने कहा कि आईसीएआर और कृषि संस्थानों ने फैसला किया है कि आने वाले समय में कृषि संस्थानों में 25 प्रतिशत भूमि पर प्राकृतिक खेती पर प्रयोग और शोध किया जाएगा ताकि प्राकृतिक खेती का मॉडल तैयार किया जा सके।

इन सभी संस्थानों के अनुसंधान केंद्रों में किसानों को प्रशिक्षण के साथ-साथ प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक किया जाएगा। इस खेती को अपनाने से देशी गायों का महत्व भी बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि इस खेती से देश को रासायनिक खेती से मुक्त कर पर्यावरण को स्वच्छ बनाया जा सकता है।

राज्यपाल देवव्रत ने कहा कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती के सफल परीक्षण के बाद 3-4 साल पहले हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया गया था।

उन्होंने कहा कि अब हिमाचल में दो लाख किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है।

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