मेडिकल स्टाफ के साथ मार-पीट के मामलों में कितनी प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं : अदालत ने पूछा
बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ की पिटाई के सिलसिले में अभी तक दर्ज की गई प्राथमिकियों की जानकारी उसे दे.
मुंबई, 13 मई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ की पिटाई के सिलसिले में अभी तक दर्ज की गई प्राथमिकियों की जानकारी उसे दे. मुख्य न्यायाधीश दिपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी की पीठ डॉक्टर राजीव जोशी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा के मामलों में कमी लाने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया था. जनहित याचिका के अनुसार, महाराष्ट्र (Maharashtra) में ऐसी हिंसक घटनाओं की संख्या सबसे ज्यादा है.
डॉक्टर जोशी ने अपनी याचिका में दावा किया कि ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण के लिए महाराष्ट्र सरकार 2010 के अधिनियम सहित अन्य मौजूदा कानूनों/प्रावधानों को लागू करने में असफल रही है. पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा कि वर्तमान स्थिति में जबकि मेडिकल स्टाफ चौबीस घंटे काम कर रहा है, सरकार को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. पीठ ने कहा, ‘‘फिलहाल हमें डॉक्टरों को सुरक्षित रखने की जरुरत है, खास तौर से तब जब वे पहले से ही कड़ी मेहनत और तनाव में काम कर रहे हैं.’’ पीठ ने कहा, ‘‘जिम्मेदार राज्य होने के नाते, अगर हम उनकी सुरक्षा नहीं कर पाते हैं तो अपना कर्तव्य निभाने से चूक जाएंगे.’’ यह भी पढ़ें : Delhi में कोरोना का संकट बरकरार, बीते 24 घंटे में 10,489 नए केस, 308 लोगों ने तोड़ा दम
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में वह दूसरी पीठ द्वारा पहले दिए गए आदेश का पालन करे.गौरतलब है कि 2016 में बंबई उच्च न्यायालय की मौजूदा मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लुर ने इस मुद्दे पर निर्देश दिया था. अदालत ने 2016 के आदेश का हवाला देते हुए कहा, ‘‘देखते हैं कि उन निर्देशों का पालन हो रहा है या नहीं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें बताएं कि राज्य में डॉक्टरों की पिटाई को लेकर राज्य में कितने मामले दर्ज किए गए हैं.’’ अदालत ने कहा कि मामले की सुनवाई अगले सप्ताह जारी रहेगी.