नयी दिल्ली, 23 जून दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्हाट्सऐप की नयी निजता नीति की जांच के सिलसिले में फेसबुक और मैसेजिंग ऐप से कुछ सूचना मांगने वाले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भम्भानी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि जांच में और कदम उठाने पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली एक अर्जी पहले ही दायर की जा चुकी है जिसमें सीसीआई के महानिदेशक को नोटिस जारी किया जा चुका है। खंडपीठ ने छह मई को इस पर कोई अंतरिम राहत नहीं दी थी। यह मामला सुनवाई के लिए नौ जुलाई को सूचीबद्ध है।
पीठ ने 21 जून को दिए आदेश में कहा, ‘‘हमने यह भी पाया कि पहले दायर अर्जी और मौजूदा अर्जी में एक जैसी बातें कही गयी है। पहले की वजहों के चलते हम इस वक्त आठ जून के नोटिस पर रोक लगाना उचित नहीं समझते।’’ इस आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध करायी गयी।
पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि डीजी द्वारा जून में दिया नोटिस 24 मार्च के आदेश के अनुसार स्वत: संज्ञान मामले में शुरू जांच के आगे का एक कदम है जिसे मौजूदा अपीलों में चुनौती दी गयी है।
फेसबुक और व्हाट्सऐप ने इन अर्जियों में सीसीआई के नोटिसों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। इन नोटिस में उनसे कहा गया है कि इस मामले की जा रही जांच के सिलसिले में आयोग को कुछ सूचनाएं उपलब्ध करायी जाएं। व्हाट्सऐप और फेसबुक को क्रमश: चार और आठ जून को नोटिस भेजे गए।
यह मामला एकल पीठ के आदेश के खिलाफ फेसबुक और व्हाट्सऐप की अपीलों से संबंधित है। एकल पीठ ने व्हाट्सऐप की नयी निजता नीति की जांच का सीसीआई द्वारा आदेश देने के खिलाफ उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने इससे पहले छह मई को अपीलों पर नोटिस जारी किया था और केंद्र से जवाब देने को कहा था।
उच्च न्यायालय ने 21 जून के अपने आदेश में कहा कि सीसीआई का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अमन लेखी और बलबीर सिंह ने दलील दी कि जांच को आगे ले जाने के सिलसिले में यह नोटिस एकदम उपयुक्त हैं जिस पर खंडपीठ ने रोक नहीं लगायी है और मांगी गयी सूचना सीसीआई को मिलने के बाद रिपोर्ट तैयार करने में समय लगेगा। एक बार जब रिपोर्ट तैयार हो जाएगी तो उसे सीसीआई को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट सात जुलाई को खंडपीठ की अगली सुनवाई से पहले तो कम से कम तैयार नहीं होगी।
अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘‘लेखी और सिंह की दलीलों पर गौर करते हुए हम डीजी से केवल यह ध्यान रखने को कहेंगे कि अपीलकर्ता (फेसबुक और व्हाइट्सऐप) के खिलाफ जांच इस अदालत की खंडपीठ के समक्ष विचाराधीन है और हम नौ जुलाई को खंडपीठ के समक्ष सुनवाई से पहले इस मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हैं।’’
अपीलों पर बहस के दौरान व्हाट्सऐप की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि दिक्कत यह है कि उन्हें ताजा नोटिस चार जून को मिला और जवाब देने की आखिरी तारीख 21 जून है।
फेसबुक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यहां सवाल औचित्य का है और यह ठीक नहीं है क्योंकि देश की सर्वोच्च अदालत यानी कि उच्चतम न्यायालय इस मामले पर गौर कर रहा है।
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