नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शहर के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में फरवरी में हुए सांप्रदायिक दंगों के सिलसिले में अवैध रूप से एकत्र होने के मामले में 60 वर्षीय आरोपी को जमानत दे दी।
उच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत के दौरान उनके संतोषजनक व्यवहार पर विचार करते हुए फैसला दिया है।
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उच्च न्यायालय ने आरोपी की उम्र के साथ-साथ दिल्ली का स्थायी निवासी होने और देश से बाहर जाने का कोई खतरा नहीं होने के तथ्य पर विचार करते हुए पहले उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी।
न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह ने कहा, “(एएसजी) की दलीलों और अंतरिम जमानत की अवधि के दौरान याचिकाकर्ता (आरोपी) के व्यवहार की रिपोर्ट पर विचार करते हुए, यह अदालत उसे जमानत देने को तैयार है।“
उच्च न्यायालय ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू की दलीलों पर गौर किया कि जांच अधिकारी की रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिम जमानत की अवधि के दौरान आरोपी का व्यवहार “संतोषजनक“ था।
एएसजी ने कहा कि शरीफ खान ने अपना और अपनी बेटी का मोबाइल नंबर जांच अधिकारी को दिया है और अवधि के दौरान गैर कानूनी या अवैध गतिविधि में शामिल नहीं रहे और नियमित रूप से उपस्थित होते रहे।
उच्च न्यायालय ने आरोपी को निर्देश दिया कि वह दिल्ली नहीं छोड़ेंगे और अपना तथा अपने परिवार के एक करीबी सदस्य का मोबाइल नंबर जांच अधिकारी को देंगे और उन्हें हर दो दिन में रिपोर्ट करेंगे।
पुलिस के मुताबिक, खान उत्तर-पूर्वी दिल्ली के खजुरी खास इलाके में दंगों के दौरान अवैध रूप से जमा हुई भीड़ का हिस्सा थे।
इस साल 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसक झड़प सांप्रदायिक दंगों में बदल गई थी, जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों जख्मी हुए थे।
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