नागपुर: देश में कोरोना वायरस संकट के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि कुछ लोगों की गलतियों के लिए पूरे समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.उन्होंने यह भी कहा कि संकट की इस घड़ी में बिना भेदभाव सभी की मदद की जानी चाहिए।संघ प्रमुख ने आगाह करते हुए कहा कि भारत के हितों की विरोधी शक्तियों को स्थिति का लाभ उठाने का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए।उनकी टिप्पणियां तबलीगी जमात के सदस्यों सेजुड़ी घटनाओं के संदर्भ में आई हैं जिसका दिल्ली स्थित केंद्र कोरोना वायरस का एक बड़ा हॉटस्पॉट बनकर उभरा है।यहां से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं के नाम अपने पहले ऑनलाइन संबोधन में भागवत ने कोविड-19 से उबरने के बाद देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अर्थव्यवस्था के ‘स्वदेशी मॉडल’ की वकालत भी की।
संघ प्रमुख ने महाराष्ट्र के पालघर में हाल में दो साधुओं की पीट-पीटकर की गई हत्या की निन्दा की और पूछा कि पुलिस घटना को रोकने में क्यों विफल रही।उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई डर या गुस्से की वजह से कुछ गलत करता है तो हमें पूरे समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए या उसे अलग-थलग नहीं करना चाहिए।’’उनकी इस टिप्पणी को तबलीगी जमात के सदस्यों से जुड़ी हाल की घटनाओं के संदर्भ में देखा जा रहा है।संकट की इस घड़ी में दूसरे लोगों की धैर्य के साथ सहायता करने और डर या गुस्से की किसी भावना से बचने की आवश्यकता पर जोर देते हुए भागवत ने कहा कि कुछ भारत विरोधी मनोवृत्ति के लोग हैं जो संदेह उत्पन्न कर रहे हैं और कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लागू लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों के खिलाफ लोगों को भड़का रहे हैं. यह भी पढ़े: राजस्थान में कोरोना वायरस के सात मरीजों की मौत, 102 नये मामले आये सामने, कुल मामले 2185 हुए
भागवत ने कहा कि ऐसे समय में राजनीति भी बीच में आ जाती है, ‘‘लेकिन हमें प्रतिक्रिया नहीं करनी है और हर किसी की मदद कर अपना राहत कार्य जारी रखना है क्योंकि सभी 130 करोड़ भारतीय भारत मां की संतान हैं और वे हमारे अपने हैं।’’संघ प्रमुख ने कहा कि इस संकट के बाद राष्ट्र निर्माण का एक नया चरण शुरू किया जाएगा और ‘‘हमें विकास के अपने नए मॉडल के साथ आना होगा जो हमें आत्मनिर्भर बनाए।’’आने वाले दिनों में ‘स्वदेशी’ की पैरवी करते हुए भागवत ने लोगों से आग्रह किया कि वे स्वदेशी वस्तुओं का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें और आयातित सामान के इस्तेमाल के बिना रहने की कोशिश करें।उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति से निपटने और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए राष्ट्र प्रथम की बात करने वाली राजनीति और नागरिकों को संस्कार तथा सर्वश्रेष्ठ व्यवहार उपलब्ध कराने वाली शिक्षा प्रणाली अनिवार्य हैं।
संघ प्रमुख ने कहा कि पारिवारिक मूल्य, स्वच्छता, पर्यावरण चिंता और ऑर्गेनिक खेती कोविड-19 के बाद की दुनिया का नया क्षितिज होंगे जहां न केवल सरकार और प्रशासन, बल्कि समाज को भी विशेष प्रयास करने होंगे।पालघर की घटना पर रोष व्यक्त करते हुए भागवत ने कहा कि कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखना प्रशसन का दायित्व था।उन्होंने कहा, ‘‘मानवता की कुशलक्षेम की कामना करने वाले संन्यासियों की पालघर में बर्बरता से हत्या की गई। पुलिस क्या कर रही थी? इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिए थी।’’आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संघ दोनों साधुओं को 28 अप्रैल को श्रद्धांजलि देने के लिए अन्य संगठनों के साथ है।
महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं और उनके चालक की 16 अप्रैल को भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।यह रेखांकित करते हुए कि राहत गतिविधियों के रूप में आरएसएस लॉकडाउन के दौरान सक्रिय है, भागवत ने कहा, ‘‘हमें महामारी के खिलाफ लड़ाई समाप्त होने तक राहत कार्य जारी रखना चाहिए।’’उन्होंने कहा कि पूरा विश्व देख रहा है कि आरएसएस के कार्यकर्ता लोगों की मदद कर रहे हैं, लेकिन ‘‘हम यह राहत कार्य प्रसिद्धि के लिए नहीं कर रहे, हम यह कार्य अपने दायित्व के रूप में कर रहे हैं।’’भागवत ने कहा कि भारत महामारी से प्रभावी ढंग से निपटा है क्योंकि सरकार और लोगों ने आगे बढ़कर कार्य किया है।
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