ऋषिकेश, 14 जुलाई केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि भारत को खुद का स्वास्थ्य मॉडल विकसित करना चाहिए, जो भारत की आनुवंशिकी और उसकी भौगोलिक स्थिति से संबंधित बीमारियों के महाद्वीपीय स्वरूप के अनुरूप हो।
मांडविया ने बृहस्पतिवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के तीसरे दीक्षांत समारोह में दिए संबोधन में स्वास्थ्य पेशेवरों को जिलों और गांवों में सेवाएं देने के लिए प्रोत्साहित किया।
दीक्षांत समारोह में छात्रों को बधाई देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उनसे चिकित्सा विज्ञान के साथ आने वाले सेवा और जिम्मेदारी के अवसर को तहेदिल से स्वीकार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “जिम्मेदारी की हमारी भावना मानवता के प्रति हमारी सेवा के अनुरूप होनी चाहिए। एक स्वस्थ समाज ही एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करता है।”
मांडविया ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य व्यापार का नहीं, बल्कि सेवा का विषय है।
उन्होंने कहा, “हमारे देश के लोग डॉक्टरों को भगवान के दूत के रूप में देखते हैं। हम अपने डॉक्टरों का बहुत सम्मान करते हैं और उन्हें काफी अहमियत देते हैं।” स्वास्थ्य मंत्री ने भारत की चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में अपने विश्वास की भी पुष्टि की।
इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार, उत्तराखंड के वित्त मंत्री एसपी सिंह बघेल, ऋषिकेश के विधायक प्रेमचंद अग्रवाल और उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने भी शिरकत की।
कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री एबीएचआईएम के तहत 150 बिस्तरों वाले सघन-देखभाल ब्लॉक की आधारशिला रखी गई। इस कार्यक्रम में जर्नल ऑन मेडिकल एविडेंस, इंस्टीट्यूट एंथम, स्वास्थ्य चेतना पत्रिका का भी विमोचन किया गया।
मांडविया ने सरकारी दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून में कैथ लैब, आईसीयू, मैमोग्राफी और डिजिटल रेडियोग्राफी मशीन का भी उद्घाटन किया। यह उत्तराखंड की पहली सरकारी कैथ लैब सुविधा है।
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