चंडीगढ़, 25 दिसंबर इस साल दो महत्वपूर्ण चुनावों के गवाह बने और पेरिस ओलंपिक के लिए भारतीय दल में 20 प्रतिशत से अधिक एथलीट का प्रतिनिधित्व करने वाले हरियाणा ने राजनीति और खेल दोनों में खूब सुर्खियां बटोरीं।
हालांकि, हरियाणा में किसानों से जुड़ा मुद्दा भी छाया रहा। किसानों का विरोध-प्रदर्शन पूरे साल राज्य की सामाजिक-राजनीतिक चर्चा का विषय बना रहा।
चुनावी मौसम के बाद जब हरियाणा की राजनीति में हलचल सामान्य होती दिख रही थी तभी पांच बार के मुख्यमंत्री एवं राजनीतिक दिग्गज ओम प्रकाश चौटाला के निधन की खबर आई। चौटाला का निधन 20 दिसंबर को 89 वर्ष की आयु में हो गया।
किसी ने नहीं सोचा था कि विधानसभा चुनाव से कुछ माह पहले सरकार में बड़ा बदलाव होगा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सभी को हैरान करते हुए नौ साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल की जगह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता नायब सिंह सैनी (54) को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया। हालांकि, इस कदम से कुछ लोग नाराज भी दिखे, खासतौर पर अनिल विज जैसे भाजपा के वरिष्ठ नेता जिनकी मुख्यमंत्री बनने की ख्वाहिश जगजाहिर है।
भाजपा का यह दांव लोकसभा चुनावों में काम नहीं आया और उसे 10 में से पांच सीट कांग्रेस के हाथों गंवानी पड़ीं, लेकिन अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनावों में उसे इसका फायदा जरूर मिला और उसने लगातार तीसरी बार सत्ता पर कब्जा जमाया। हरियाणा विधानसभा की 90 सीट में से भाजपा ने 48 सीट जीती जबकि कांग्रेस 37 ही जीत पाई।
आम आदमी पार्टी (आप) का सफाया हो गया, उसे एक भी सीट नहीं मिली। मार्च में अजय चौटाला की अगुआई वाली जननायक जनता पार्टी का भाजपा के साथ गठबंधन टूट गया और विधानसभा चुनावों उसे में भी हार का मुंह देखना पड़ा।
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