विदेश की खबरें | गटर से आंत तक : कैसे सूक्ष्मजीवाणुरोधी प्रतिरोधी जीवाणु पर्यावरण से इनसान तक की यात्रा करते
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

मॉन्ट्रियल,19 सितंबर (द कन्वरसेशन) गले में खराश हो या बुखार या फिर जान पर बन आने वाला संक्रमण, अधिकतर लोग समय-समय पर एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करते हैं। नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक कोविड-19 महामारी की वजह से एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बढ़ा है।

कुछ जीवाणु प्राकृतिक रूप से कई सूक्ष्मजीवीरोधी से प्रतिरोध कर सकते हैं। अन्य मामलों में सूक्ष्मजीवीरोधी (एंटीबैक्टीरियल)का अनुचित इस्तेमाल जीवाणु के जीन (डीएनए की इकाई) में बदलाव को प्रोत्साहित करता है, जिससे जीवाणु, सूक्ष्मजीवीरोधी से प्रतिकार करने लगते हैं। एंटीबायोटिक की खोज करने वाले एलेक्सजेंडर फ्लेमिंग ने वर्ष 1945 के नोबेल व्याख्यान में इस विषय पर अग्रिम चेतावनी दी थी।

‘‘ श्रीमान एक्स को गले में खराश हुई। उन्होंने पेनसिलिन खरीदी और उसका सेवन किया, लेकिन यह स्ट्रेप्टोकॉकस (गले में खराश या टॉनसिल के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया) को मारने में सक्षम नहीं साबित हुआ, लेकिन यह जीवाणु को पेनसिलिन के प्रति प्रतिरोध उत्पन्न करने के मामले में पर्याप्त साबित हुआ। इसके बाद उसने पत्नी को संक्रमित किया। श्रीमती एक्स को निमोनिया हुआ और उनका पेनसिलिन से इलाज किया गया। चूंकि स्ट्रेप्टोकॉकस अब पेनसिलिन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुका है,इसलिए इलाज असफल रहता है और श्रीमती एक्स की मौत हो जाती है। प्राथमिक तौर पर श्रीमती एक्स की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? ’’

उपरोक्त स्थिति को सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोध कहा जाता है और जो जीन यह प्रतिरोध उत्पन्न करता है उसे सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोधक जीन (एआरजी) कहा जाता है।

सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोधक जीन

वैश्विक स्तर पर सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोध की वजह से स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। इसकी अहम वजह एआरजी की गतिशीलता है। प्रतिरोधी जीन जीवाणु की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी प्रजन्न के जरिये और क्षैतिज जीन स्थानांतरण (दो जीवाणुओं के बीच गैर यौन क्रिया से आनुवंशिकी सामग्री का स्थानांतरण) से भी स्थानांतरित हो सकता है।

उनके उत्पत्ति स्थल से परे सूक्ष्मजीवरोधी प्रतिरोधक जीन पर्यावरण के स्रोत से इनसान तक स्थानांतरित हो सकते हैं।

मैकगिल विश्वविद्यालय में पर्यावरण इंजीनियरों ने हमारे अनुसंधान में अपशिष्ट जल में सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोधी जीन की गतिशीलता की निगरानी के तरीके का विकास करने पर ध्यान केंद्रित किया, ताकि एआरजी के इंसान के आंत तक पहुंचने और उसके असर को समझा जा सके।फ्लेमिंग द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक प्रतिरोधी जीवाणुओं के संचार की जनकारी दी गई है, और भी कई तरीके है जिनके जरिये ये जीवाणु इनसानी शरीर में दाखिल हो सकते हैं।

अपशिष्ट जल

अपशिष्ट जल मानव गतिविधियों के लिए खराब है जिसमें मानव मल, कृषि, घरेलू और अस्पतालों के कचरे से आए प्रतिरोधी जीन होते हैं। शोधित अपशिष्ट जल को अकसर सतही जल स्रोतों जैसे नदी में डाल दिया जाता है, जिनका इस्तेमाल मनोरंजक गतिविधियों जैसे खेल, मछली पकड़ने और तैराकी के लिए किया जाता है। अंतर अनुभागीय अध्ययन में खुलासा हुआ कि पीड़ित व्यक्ति की आंत में सामान्य व्यक्ति की तुलना में तीन से चार गुना विभिन्न दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर चुके जीवाणुओं के होने की आशंका होती है।

इसके साथ ही पेयजल शोधित सतह पर उपलब्ध जल स्रोत या भूजल से प्राप्त होता है। अनुसंधान में सामने आया कि सतह के स्रोत से प्राप्त पेयजल से सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोधी जीन चूहे की आंत तक स्थानांतरित हो सकते हैं, यह संकेत करता है कि ये जीन मानव आंत तक भी पहुंच सकते हैं।

भोजन

मवेशियों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए अकसर सूक्ष्मजीवीरोधियों का इस्तेमाल खेती में किया जाता है जिससे प्रतिरोधी जीन का चयन और विकास हो सकता है। कृषि में पशुओं से प्राप्त खाद के इस्तेमाल से सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोधी जीन खाद्यान्नों तक पहुंच सकते हैं। कई एआरजी को मृदा से पौधे के उस हिस्से तक पहुंचते पाया गया है, जिसका इस्तेमाल हम खाने के लिए करते हैं, जैसे टमाटर।

हवा

श्वास के जरिये सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोधी से स्वास्थ्य खतरा बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों के नमूनों की नवीनतम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पेयजल की तुलना में हवा में मौजूद प्रतिरोधी बैक्टीरिया से संपर्क 10 गुना अधिक होता है।

स्वास्थ्य केंद्र

स्वास्थ्य केंद्र वह प्रमुख स्थान है जहां पर बहु दवा रोधी संक्रमण होने की आशंका वहां मौजूद जीवाणुओं की वजह से होती है जो कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।

यात्रा

अंतरराष्ट्रीय यात्री जिन्होंने विकासशील देशों की यात्रा की है उनमें बहु दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया पाए गए हैं। उनमें ये जीवाणु दूषित भोजन और पानी या अस्वछता की वजह से पहुंच सकते हैं।

स्वस्थ रहने के उपाय

यह स्पष्ट है कि सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोधी जीवाणु हमारे आसपास हैं और इनके प्रति चिंतित होना स्वाभाविक है। लेकिन इससे भी अहम यह स्वीकार करना है कि हम छोटे कदम उठा सकते हैं। इनमें यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि मरीज का इलाज उचित एंटीबायोटिक से किया जाए और उसे सही खुराक दी जाए।

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