मुंबई, 21 अप्रैल वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण की जगह उनके निगमीकरण का सुझाव दिया है।
उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार यदि अपनी कंपनियों का निगमीकरण करे तो वह शेयरों की बिक्री से अधिक धन कमा सकती है और वृद्धिशील लाभ बढ़ा सकता है।
अतीत में विनिवेश प्रक्रिया के जरिये कुछ सरकारी इकाइयों का अधिग्रहण करने वाले अग्रवाल की टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकार अपने विनिवेश लक्ष्यों से पीछे रही है।
कुछ अपवादों को छोड़कर सरकार बजट में तय निजीकरण के लक्ष्य को पूरा करने में विफल रही है, और वह वित्त वर्ष 2021-22 में एलआईसी को सूचीबद्ध करने में विफल रही।
अग्रवाल ने कहा - सरकार को अपनी सूचीबद्ध कंपनियों का निजीकरण बंद कर उनका निगमीकरण क्यों नहीं करना चाहिए? लगभग 200 सूचीबद्ध केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों का निगमीकरण करके वह एक बार में बहुत अधिक धन कमा सकती है और फिर वार्षिक लाभ में अधिक कमाई भी जारी रख सकती है। ऐसा कई देशों में हुआ है और हम भी इसका अनुसरण कर सकते हैं।
उन्होंने टाइम्स समूह के इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह के नीतिगत बदलाव से यह सुनिश्चित हो सकता है कि हमारी राष्ट्रीय संपत्ति विदेशी हाथों में न जाए।
उन्होंने कहा कि हमारे कोष घरानों के पास इतनी बड़ी हिस्सेदारी खरीदने के लिए पर्याप्त धन है।
अग्रवाल ने कहा कि ऐसा करके सरकार निजीकरण को लेकर श्रमिक संघों की आलोचना को भी कमजोर कर सकती है। नौकरी छूटने के डर से कर्मचारियों को स्टॉक विकल्प दिया जा सकता है। इन कंपनियों को एलएंडटी या एचडीएफसी समूह जैसे पेशेवर बोर्डों द्वारा चलाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अगर दुनिया की कुछ सबसे सफल और सबसे बड़ी कंपनियों को भारतीय या भारतीय मूल के पुरुष और महिलाएं चला सकते हैं, तो सरकार अपने लोगों को अपनी कंपनियां चलाने की अनुमति क्यों नहीं दे सकती।
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