गोविंदाचार्य ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए एनआईसी आधारित ढांचे की मांग
उन्होंने याचिका में कहा कि बेहतर होगा कि देशभर में सरकारी विभागों और अदालतों के कामकाज में नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) की तरफ से मुहैया कराए गए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में किया जाए।
नयी दिल्ली, 18 अप्रैल आरएसएस के पूर्व विचारक के. एन. गोविंदाचार्य ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर न्यायपालिका और सरकारी विभागों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए विदेशों के सॉफ्टवेयर और इंटरनेट एप्लीकेशन के इस्तेमाल पर चिंता जताई और कहा कि इससे सुरक्षा संबंधित बड़ा खतरा है।
उन्होंने याचिका में कहा कि बेहतर होगा कि देशभर में सरकारी विभागों और अदालतों के कामकाज में नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) की तरफ से मुहैया कराए गए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में किया जाए।
याचिका में कहा गया कि कोविड-19 महामारी के दौरान देशभर में 25 मार्च से शुरू हुए पहले चरण के लॉकडाउन में सरकार ने नौकरशाहों के लिए घर से काम करने की नीति की घोषणा की थी जबकि अदालतें मुख्यत: बंद रहीं और केवल कुछ मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई।
इसमें बताया गया कि अधिकतर अदालतें और सरकारी विभाग अलग-अलग सॉफ्टवेयर और इंटरनेट आधारित एप्लीकेशन जैसे व्हाट्सएप, स्काइप और जूम का इस्तेमाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तथा काम के सिलसिले में संचार के लिए कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया, ‘‘वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले अधिकतर सॉफ्टवेयर विदेशी इंटरनेट कंपनियों के हैं जिसमें भारत से बाहर डाटा भेजने की शर्त होती है, साथ ही साथ उनके व्यावसायिक उपयोग की शर्त भी होती है।’’
इसमें बताया गया कि डाटा का स्थानांतरण और खासकर सरकार एवं न्यायपालिका के डाटा का भारत से बाहर स्थानांतरण का राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर हो सकता है और देश की संप्रभुता को खतरा हो सकता है।
एनआईसी आधारित ढांचे का पक्ष रखते हुए गोविंदाचार्य ने कहा, ‘‘अगर एनआईसी द्वारा बनाए गए अच्छे सॉफ्टवेयर उपलब्ध नहीं हैं तो एनआईसी निजी कंपनियों के उपयुक्त सॉफ्टवेयर का ऑडिट कर एवं उन्हें सरकार और न्यायपालिका द्वारा उपयोग किए जाने की खातिर सत्यापित कर सकती है।’’
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