चेन्नई, 30 जनवरी तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने आरोप लगाया कि राज्यपाल आर. एन. रवि मीडिया में रोजाना सुर्खियों में रहने की ‘होड़’ की बीमारी से पीड़ित हैं और ऐसा लगता है कि तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल के राज्यपालों के बीच मीडिया में अधिक से अधिक जगह पाने की ‘परोक्ष प्रतिस्पर्धा’ चल रही है।
मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल रवि, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान राज्य सरकारों की आलोचना करके ‘‘मीडिया के जरिए ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ताओं की तरह व्यवहार कर रहे हैं। वे यह भूल जाते हैं कि वे राज्यपाल हैं।’’
नागपट्टिनम जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यान्वयन में प्रशासनिक उदासीनता और भ्रष्टाचार का आरोप लगाए जाने के लिए रवि की आलोचना करते हुए उन्होंने यह जानना चाहा कि राज्यपाल ने किस आधार पर ऐसा आरोप लगाया।
रघुपति ने सोमवार को एक बयान में कहा कि अगर उन्हें योजना के संबंध में स्पष्टीकरण की आवश्यकता थी तो वह सरकार से जांच करा सकते थे।
मंत्री ने कहा कि अगर भाजपा नेतृत्व उन्हें अनुमति देता है तो राज्यपाल रहते हुए ‘‘राजनीति करने’’ के बजाय वह राजनीति में शामिल हो सकते हैं। यह उनके और तमिलनाडु के लोगों के लिए अच्छा होगा।
मंत्री ने एक विपक्षी दल की तरह सरकार की आलोचना करने के लिए रवि की आलोचना की और पूछा कि क्या यह राज्यपाल का पद संभालने वाले व्यक्ति को शोभा देता है।
रघुपति ने आरोप लगाया कि राज्यपाल वह सब कुछ कर रहे हैं जो उनके (संवैधानिक) अधिकार के दायरे से बाहर है। मंत्री ने दावा किया कि अक्सर रवि ‘पारिवारिक’ कार्यक्रमों के लिए दिल्ली जाते रहते हैं और पूछा कि क्या राज्यपाल कभी तमिलनाडु के लोगों के लिए दिल्ली गए हैं?
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने राज्य के लिए कोई अच्छा काम नहीं किया। साथ ही वह राज्य सरकार और मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की मदद नहीं करते, जो तमिलनाडु के विकास और लोगों के विकास के लिए काम कर रहे हैं।
रघुपति ने कहा कि रवि राज्य के विकास में बाधाएं खड़ी कर रहे हैं।
रवि ने 30 जनवरी को आरोप लगाया कि यह दुखद है कि राज्य के नागपट्टिनम जिले के ‘पात्र गरीब ग्रामीणों’ को ‘प्रशासनिक उदासीनता’ के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका। उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों की ओर भी इशारा किया।
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