West Bengal: शुभेंदु अधिकारी के नेताई दौरे का विवरण लेने के लिये बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्य सचिव को तलब किया
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने झारग्राम जिले में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी से जुड़ी एक घटना के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये मुख्य सचिव (सीएस) एच के द्विवेदी को 31 जनवरी को एक बार फिर राजभवन में बुलाया है.
कोलकाता, 29 जनवरी : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने झारग्राम जिले में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी से जुड़ी एक घटना के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये मुख्य सचिव (सीएस) एच के द्विवेदी को 31 जनवरी को एक बार फिर राजभवन में बुलाया है. धनखड़ को लिखे एक पत्र में अधिकारी ने कहा था कि उन्हें झारग्राम में नेताई जाने से रोका गया था, जहां उन्होंने करीब 11 साल पहले गोलीबारी में मारे गए लोगों को सम्मान देने की मांग की थी. इससे पहले भी राज्यपाल ने द्विवेदी को घटना की जानकारी लेने के लिए तलब किया था, लेकिन मुख्य सचिव बैठक में नहीं पहुंचे.
शुक्रवार को एक बयान में, जिसे बाद में राज्यपाल द्वारा ट्विटर पर साझा किया गया था, धनखड़ ने कहा, “स्पष्ट और पुख्ता न्यायिक निर्देशों के बावजूद सात जनवरी को नेताई के निकट नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को रोके जाने के महत्वपूर्ण मुद्दे पर मुख्य सचिव द्वारा 25 जनवरी को दी गई गोलमोल और मूल मुद्दे से ध्यान भटकाने वाली प्रतिक्रिया चिंताजनक है.” धनखड़ ने यह भी जानना चाहा कि किसके निर्देश के तहत मुख्य सचिव ने पूर्व में उनके कॉल का जवाब देने में असमर्थता के बारे में सूचित करते हुए संदेश भेजे थे. यह भी पढ़ें : Karnataka New Guidelines: 31 जनवरी से कर्नाटक में कम होगा पाबंदियों का पहरा, जानें अब क्या खुला और क्या रहेगा बंद
उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी मामले के संबंध में व्यापक प्रतिक्रिया देने के लिए शीर्ष अधिकारी को अंतिम अवसर प्रदान किया जा रहा है ... “ऐसा नहीं होने पर यह माना जाएगा कि मुख्य सचिव राज्यपाल के कार्यालय के वैध निर्देशों की पूरी तरह से अवहेलना कर रहे हैं और उनका यह कृत्य जानबूझकर किया गया है तथा अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 का जानबूझकर उल्लंघन है, जिसके फलस्वरूप आने वाले समय में परिणाम गंभीर होंगे.” धनखड़ ने कहा कि मुख्य सचिव को इस मामले में भी अपनी चूक के बारे में पूरी जानकारी देनी है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस चेतावनी के बावजूद, द्विवेदी की प्रतिक्रिया उनके कार्यालय के लिए धीमी, ध्यान भटकाने वाली और निश्चित रूप से अपमानजनक थी.