नयी दिल्ली, छह नवंबर उत्तर भारत, खासकर राष्ट्रीय राजधानी में खराब वायु गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा कि सरकार प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सभी संभव तकनीकी उपायों को प्रोत्साहित करेगी।
उन्होंने कहा कि पराली जलाना चिंता का एक और कारण है और उम्मीद है कि विभिन्न तकनीकों से समस्या पर काबू पाने में मदद मिलेगी। वह पुणे में प्रज टेक्नोलॉजीजी द्वारा विकसित देश के पहले ‘प्रदर्शन’ संयंत्र के डिजिटल उद्घाटन पर संबोधित कर रहे थे। इस संयंत्र में ‘बायोमास’ से संपीड़ित बायोगैस का उत्पादन किया जाएगा।
जावड़ेकर ने देश के उत्तरी हिस्सों, खासकर दिल्ली में प्रदूषण के स्तर पर चिंता जतायी और कहा, ‘‘ केंद्र सरकार वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सभी मोर्चों पर लगातार काम कर रही है। सरकार वायु प्रदूषण को कम करने के लिए स्रोत स्तर पर काम काम कर रही है, चाहे वह उद्योग हो या ताप बिजली घर, वाहन प्रदूषण, निर्माण और विध्वंस मलबा या पराली जलाना हो, ये प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।’’
जावड़ेकर ने कहा कि सरकार वायु प्रदूषण की समस्या को समाप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करती रहेगी और इस संबंध में सभी संभव तकनीकी उपायों को प्रोत्साहित करेगी।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के पूसा संस्थान ने एक ‘डीकंपोजर’ तकनीक का प्रदर्शन किया है जो पराली को खाद में परिवर्तित कर देती है। चार राज्यों और दिल्ली में प्रायोगिक आधार पर इसका परीक्षण किया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘इससे फसल अपशिष्टों से निपटने में मदद मिलेगी और यह किफायती भी है...।’’ उन्होंने कहा कि भारत ऊर्जा पर्याप्तता की दिशा में आगे बढ़ रहा है और देश भर में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए सौर ऊर्जा तथा नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
केंद्र द्वारा हाल ही में जारी वायु प्रदूषण अध्यादेश के तहत राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए नव-गठित आयोग के सदस्यों का शुक्रवार को चयन किया गया तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पूर्व सचिव एमएम कुट्टी को इसका प्रमुख नियुक्त किया गया।
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