नयी दिल्ली, 06 जनवरी केंद्र सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया कि वह संवैधानिक अदालत के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा भेजे गये नामों पर विचार के लिए समय-सीमा का पालन करेगी।
इसने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि कॉलेजियम की ओर से भेजे गये 44 नामों पर दो-तीन दिन के भीतर निर्णय ले लिया जाएगा।
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने शीर्ष अदालत को बताया कि उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम की ओर से सरकार को भेजे गये 104 नामों में से 44 पर इस सप्ताहांत निर्णय ले लिया जाएगा और इसकी सूची शीर्ष अदालत को भेज दी जाएगी।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने कॉलेजियम द्वारा भेजे गये उन पांच नामों की स्थिति के बारे में भी वेंकटरमणि से जानना चाहा, जिन्हें शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत किया जाना है।
अटॉर्नी जनरल ने पीठ से कहा, ‘‘श्रीमान् क्या इसे कुछ समय के लिए टाल सकेंगे? मुझे कुछ जानकारियां दी गयी हैं, लेकिन मेरा मत उस पर थोड़ा भिन्न है।’’
इसके बाद पीठ ने कहा, ‘‘जहां तक पांच न्यायाधीशों को इस अदालत में पदोन्नत करने की सिफारिश का मसला है, अटॉर्नी जनरल ने थोड़ा वक्त मांगा है क्योंकि वह इस मामले पर विचार कर रहे हैं।’’
पीठ ने कहा, ‘‘अटॉर्नी जनरल ने निवेदन किया है कि उन्हें यह निर्देश है कि सरकार संबंधित फैसले में उल्लेखित समय-सीमा का पालन करेगी। उन्होंने दलील दी है कि उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम की ओर से भेजे गये 104 नामों में से 44 पर निर्णय लिये जाने की और इस सप्ताहांत शीर्ष अदालत को भेजे जाने की संभावना है।’’
शीर्ष अदालत ने इसके बाद मामले की सुनवाई तीन फरवरी के लिए स्थगित कर दी। न्यायालय संवैधानिक अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम द्वारा भेजे गये नामों पर निर्णय लेने में कथित तौर पर केंद्र सरकार की ओर से की जाने वाली देरी के मामले में सुनवाई कर रहा था।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने पिछले माह पांच न्यायाधीशों को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने की सरकार से सिफारिश की थी। इनमें राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल और पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के नाम भी शामिल हैं।
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