मोदी सरकार ने भारतीय जहाजरानी कंपनियों के लिए 1,624 करोड़ रुपये की सब्सिडी को दी मंजूरी
पीएम मोदी (Photo Credits: PIB)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को मंत्रालयों और केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) की वैश्विक निविदाओं में सरकारी माल के आयात के लिए भारतीय जहाजरानी कंपनियों को पांच वर्षों के दौरान 1,624 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की योजना को मंजूरी दी. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ जहाजों के पंजीयन की तरह 72 घंटों के भीतर ऑनलाइन पंजीकरण किया जाएगा। इससे भारत में जहाजों का पंजीकरण आसान और आकर्षक हो जाएगा. बयान में आगे कहा गया, ‘‘इसके अलावा ताजा पहल का मकसद किसी भी ध्वजवाहक पोत को भारतीय चालक दल के साथ चालक दल को बदलने के लिए 30 दिन का समय देना है.

भारतीय ध्वजवाहक जहाजों को होने वाले लागत नुकसान को दूर करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के अपने बजट भाषण में पांच वर्षों में 1,624 करोड़ रुपये की सब्सिडी सहायता देने की घोषणा की थी. बयान में कहा गया है कि जहाजों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ जोड़कर उन पर कार्मिक आवश्यकताओं को युक्तिसंगत बनाने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं.

इसमें कहा गया है कि बजटीय समर्थन सीधे संबंधित मंत्रालय/विभाग को उपलब्ध कराया जाएगा.

बयान के अनुसार सब्सिडी समर्थन सिर्फ उन्हीं जहाजों को दिया जाएगा, जिन्होंने योजना के कार्यान्वयन के बाद ठेका हासिल किया है और 20 साल से ज्यादा पुराने जहाज योजना के अंतर्गत किसी प्रकार की सब्सिडी के लिए पात्र नहीं होंगे.

योजना की समीक्षा पांच साल बाद की जाएगी. बयान के अनुसार, ‘‘ इस योजना में रोजगार सृजन की व्यापक संभावनाएं हैं। भारतीय बेड़े में बढ़ोतरी से भारतीय नाविकों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा, क्योंकि भारतीय जहाजों को केवल भारतीय नाविकों को रखने की जरूरत है. इसमें कहा गया है कि 7,500 किलोमीटर लंबा समुद्र तट, सालाना आधार पर राष्ट्रीय निर्यात-आयात व्यापार में लगातार वृद्धि, 1997 के बाद से पोत परिवहन में 100 प्रतिशत एफडीआई की नीति होने के बावजूद, भारतीय जहाजरानी उद्योग और भारत का राष्ट्रीय बेड़ा अपने वैश्विक समकक्षों की तुलना में काफी छोटा .

वर्तमान में, भारतीय बेड़े की क्षमता के लिहाज से वैश्विक बेड़े में महज 1.2 प्रतिशत हिस्सेदारी है भारत के निर्यात व्यापार की ढुलाई में भारतीय जहाजों की हिस्सेदारी 1987-88 के 40.7 प्रतिशत से गिरकर 2018-19 में महज 7.8 प्रतिशत रह गई है इसके चलते विदेशी पोत परिवहन कंपनियों को माल ढुलाई बिल भुगतान के मद में विदेशी मुद्रा का प्रवाह बढ़ गया है। वर्ष 2018-19 में यह लगभग 53 अरब डॉलर था और बीते 13 साल के दौरान लगभग 637 अरब डॉलर रहा.

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