नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अस्पतालों को निर्देश दिया कि वे हर दो घंटे में खाली और भरे हुए बिस्तरों की संख्या की ताजा जानकारी दें. अदालत ने कहा कि ऐसा करना मुश्किल काम नहीं है. न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि अस्पताल वास्तविक समय में खाली बिस्तरों की संख्या और भर्ती का रिकॉर्ड रखें. यह उनके लिए मुश्किल नहीं होगा कि संबंधित जानकारी दिल्ली सरकार या उसके नोडल अधिकारियों को दिया जाए.
पीठ ने कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि प्रत्येक दो घंटें में ताजा जानकारी दें. न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद पीठ ने कहा कि अस्पताल मानवबल का हवाला देकर वास्तविक समय में खाली और भरे हुए बिस्तरों की जानकारी नहीं दे रहे हैं. अदालत ने कहा कि वह अस्पतालों की यह दलील स्वीकार नहीं करती. बिस्तरों के मुद्दे पर वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने अदालत को बताया कि केंद्र द्वारा उसके अस्पतालों में उपलब्ध कराए गए बिस्तरों की संख्या 3,861 से बढ़ाकर 4,091 कर दी गई है. यह भी पढ़े: Oxygen Crisis: राजधानी में ऑक्सीजन की किल्लत पर दिल्ली HC ने कहा- लोगों की जा रही है जान, केंद्र निकाले इस संकट का हल
उन्होंने कहा कि जब पिछले साल मौजूदा मामलों के मुकाबले मरीजों की संख्या चार गुना कम थी तब भी करीब इतनी ही संख्या में केंद्र द्वारा बिस्तर मुहैया कराए गए थे. मेहरा ने दावा किया कि केंद्र सरकार के अस्पतालों में सैकड़ों बिस्तर हैं जिनका इस्तेमाल नहीं हो रहा. इसके बाद अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए मुद्दे की जांच करे और पीठ को दिल्ली के लिए आवंटित बिस्तरों की श्रेणीवार जानकारी दे.
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