यूनिवर्सिटी पार्क (अमेरिका), 5 नवंबर: (द कन्वरसेशन) जिराफ दुनिया के सबसे ऊंचे स्तनधारी प्राणी और अफ्रीका के प्रतीक हैं, लेकिन वे भी विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे हैं. पिछले 30 वर्षों में जिराफ की आबादी में 40 प्रतिशत की गिरावट आई है, और अब जंगल में 70,000 से भी कम जिराफ बचे हैं. उनकी संख्या में इस चिंताजनक गिरावट के कारण क्या हैं और इस विशाल जानवर की सुरक्षा के लिए क्या किया जा सकता है?
जिराफों के लिए पांच सबसे बड़े खतरों में--पर्यावास का सिकुड़ना, अपर्याप्त कानून प्रवर्तन, पारिस्थितिकी परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन और जागरूकता की कमी शामिल हैं। मैं आपको इन खतरों और उन्हें बचाने के लिए क्या किया जा रहा है, इस बारे में बताऊंगा. मैं उस अध्ययन के बारे में भी बताऊंगा जिसका मैं हिस्सा था और जिसमें जिराफ के विलुप्त होने के खतरे के संदर्भ में जोखिम की रैंकिंग की गई थी। साथ ही यह भी कि क्या मानवीय कार्य उस खतरे को कम कर सकते हैं.
अध्ययन में तंजानिया में तारानगिरे पारिस्थितिकी तंत्र के बिना बाड़ वाले 4,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में आठ वर्षों में चिह्नित किये गए 3,100 से अधिक जिराफों के डेटा का उपयोग किया गया. हमने डेटा का उपयोग यह पता लगाने के लिए किया कि पर्यावरण और भूमि उपयोग परिवर्तन 50 वर्षों में जिराफ की आबादी को कैसे प्रभावित कर सकते हैं. इसके निष्कर्ष संरक्षण कार्यों का मार्गदर्शन कर सकते हैं.
पर्यावास का क्षरण और हानि जिराफों को खाने के लिए प्रचुर मात्रा में झाड़ियों और पेड़ों के साथ सवाना के बड़े क्षेत्रों की आवश्यकता होती है. खेती और मानव बस्ती विस्तार जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण जिराफों के पर्यावास में कमी आ रही है, जो इस जानवर के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है. जिराफ की संख्या में हालिया गिरावट का मुख्य कारण संरक्षित क्षेत्रों के बाहर पर्यावास को क्षति पहुंचना है.
उत्तरी तंजानिया में मसाई जैसे पारंपरिक चरवाहे प्राकृतिक सवाना के बड़े स्थानों को बरकरार रखते हैं, जहां वन्यजीव के साथ ही मानव आवास भी होता है. हालांकि, अब अधिकांश लोग उन क्षेत्रों में रह रहे हैं जो जिराफ के रहने के स्थान थे। जैसे-जैसे किसानों और शहर में रहने वालों की आबादी बढ़ती है, जिराफों को भूमि के छोटे और अधिक अलग-थलग हिस्सों में रहने के लिए मजबूर किया जाता है.
इससे भोजन और पानी उन्हें आसानी से नहीं मिल पाता है और उनके लिए जोखिम बढ़ जाता है.
अपर्याप्त कानून प्रवर्तन जिराफों के लिए एक और बड़ा खतरा उनका अवैध शिकार है. यह आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक गिरोह द्वारा नियंत्रित होता है. इस खतरे से निपटने के मद्देनजर वन्यजीव की सुरक्षा के लिए मजबूत कानून प्रवर्तन सबसे अच्छा विकल्प है. पारिस्थितिकी परिवर्तन जिराफों के लिए तीसरा बड़ा खतरा मानव-जनित पारिस्थितिकी परिवर्तन है जो उनके भोजन की उपलब्धता और आवाजाही को प्रभावित करता है.
इन परिवर्तनों में ईंधन के लिए लकड़ी और कोयला उत्पादन, खनन गतिविधियां और सड़क व पाइपलाइन निर्माण के लिए सवाना में वनों की कटाई शामिल है. जमीन से अत्याधिक पानी निकाला जाना भी जिराफ के पर्यावास और पानी तक उनकी पहुंच को प्रभावित करते हैं।
जलवायु परिवर्तन मानव-जनित कार्बन डाइऑक्साइड प्रदूषण से जलवायु परिवर्तन के कारण कई अफ्रीकी सवाना क्षेत्रों में तापमान और वर्षा बढ़ने का अनुमान है. जिराफ अब तक दर्ज किये गए उच्च तापमान से अप्रभावित हैं, लेकिन भारी मौसमी बारिश और भोजन की गुणवत्ता में कमी के कारण जिराफ प्रभावित होते हैं.
ज्ञान एवं जागरूकता का अभाव जिराफों के लिए पांचवां बड़ा खतरा उनके संरक्षण संबंधी ज्ञान और जागरूकता की कमी है. वन्यजीव अनुसंधान, वित्त पोषण और नीति में जिराफों को अक्सर अनदेखा किया जाता है. बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि जिराफ लुप्तप्राय हैं और अफ्रीका में कई खतरों का सामना कर रहे हैं.
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