जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने रविवार को उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा एवं भरतपुर संभाग के विधायकों एवं सांसदों से चर्चा कर लॉकडाउन के तीसरे चरण के बाद की रणनीति पर सुझाव आमंत्रित किए. विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ और पूर्व केन्द्रीय मंत्री पीपी चौधरी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस चर्चा में शामिल हुए.
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री से प्रवासियों को अंतरराज्यीय और अंतरजिला पास जल्द जारी किये जाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि सीमाओं पर पृथक-वास की व्यवस्था की जाये और जिलों के अस्पतालों में कोरोना वायरस के अलावा दुर्घटना सहित अन्य बीमारियों के मरीजों पर भी ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार को कृषि मंडियों पर खरीद पर लगाये गये शुल्क को वापस करना चाहिए.
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कांग्रेस और भाजपा विधायकों के साथ ही सीपीएम, बीटीपी, आरएलडी एवं निर्दलीय विधायक भी कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ इस चर्चा में शामिल हुए. राज्य सरकार के मंत्रियों ने भी विभिन्न जिलों के प्रभारी मंत्री एवं अपने क्षेत्र के विधायक के रूप में सुझाव दिए. गहलोत ने कहा कि फंसे हुए प्रवासियों एवं श्रमिकों को अपने गृह स्थान पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने जो पहल की थी, उसके तहत करीब 19 लाख 20 हजार लोगों ने आनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया है. इसमें से आने वालो की संख्या 12 लाख है.
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि लोगों को कोरोना के साथ रहना सीखना होगा इसके साथ ही कामकाज का तरीका बदलना होगा. उन्होंने कहा कि राजनैतिक दलों को लोगों में से कोरोना वायरस का भय हटाने की दिशा में काम करना चाहिए. विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने सरकार द्वारा उठाये गये कदमों की सराहना करते हुए प्रवासी मजदूरों के मामलों को उठाया.
उन्होंने कहा कि राजस्थान आने वाले प्रवासी जिनके पास वैध स्वीकृति है उन्हें राज्य में प्रवेश के लिये कई घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. कटारिया ने कहा कि सरकार को आदिवासी क्षेत्र जहां आने वाले दिनों में भुखमरी एक बडा मुद्दा बन सकता है वहां ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है.
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