न्यूयार्क/नयी दिल्ली, 21 नवंबर उद्योगपति गौतम अदाणी पर अमेरिकी अभियोजकों ने भारत में सौर बिजली अनुबंध हासिल करने के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ डॉलर (लगभग 2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने का आरोप लगाया है।
भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति अदाणी तथा उनके भतीजे सागर अदाणी सहित सात अन्य पर महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, इसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है।
अदाणी समूह ने 2021 में स्थानीय रूप से विनिर्मित सौर सेल और मॉड्यूल आधारित संयंत्रों का उपयोग करके उत्पन्न 8,000 मेगावाट (आठ गीगावाट) बिजली की आपूर्ति के लिए बोली जीती थी। लेकिन समूह बिजली खरीदने वाली राज्य सरकारों की मूल्य अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सका।
अदाणी पर आरोप है कि उन्होंने 2021 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। उसके बाद राज्य सरकार 7,000 मेगावाट बिजली खरीदने पर सहमत हुई थी।
आंध्र प्रदेश के अधिकारियों को 25 लाख रुपये प्रति मेगावाट की दर से ‘रिश्वत’ दी गई। यह राज्य द्वारा खरीदी गई 7,000 मेगावाट बिजली के लिए कुल 1,750 करोड़ रुपये (20 करोड़ डॉलर) बैठती है। ओडिशा ने कुछ इसी तरह से 500 मेगावाट बिजली खरीदी थी।
अदालत के दस्तावेज के अनुसार, ‘‘आंध्र प्रदेश में रिश्वत के तौर पर लगभग 20 करोड़ डॉलर का भुगतान किया गया था।’’
दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार की इकाई सोलर एनर्जी कॉरर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेकी) ने जुलाई, 2021 और दिसंबर, 2021 के बीच आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु के साथ बिजली बिक्री समझौते किये थे। सेकी मूल रूप से सौर विनिर्माण से जुड़ी बिजली परियोजनाओं के लिए निविदाएं आवंटित करती है।
अभियोग में नयी दिल्ली स्थित एज्योर पावर का भी नाम है। कंपनी ने चार गीगावाट की आपूर्ति के लिए समान निविदा जीती थी। लेकिन जब एज्योर महंगी बिजली खरीदने के लिए राज्यों को दी गई रिश्वत के पैसे का एक-तिहाई हिस्सा नहीं चुका सकी, तो अदाणी ने कंपनी को अपने अनुबंध का एक हिस्सा छोड़ने के लिए मजबूर किया। उस अनुबंध को बाद में सेकी के माध्यम से अदाणी ने ले लिया था।
अमेरिकी अधिकारियों ने दो अलग-अलग मामलों में अदाणी पर रिश्वत देने और प्रतिभूति धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। इसमें न्यूयॉर्क की एक अदालत में अमेरिकी न्याय विभाग की तरफ से दायर एक आपराधिक मामला है। इसमें उनपर और उनके भतीजे सागर सहित सात अन्य लोगों पर आरोप लगाया गया है।
इसके अलावा, अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) ने गौतम और सागर अदाणी तथा एज्योर पावर के एक कार्यकारी पर संघीय प्रतिभूति कानूनों के धोखाधड़ी रोधक प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
इस बीच, अदाणी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया और उन्हें निराधार बताया है। समूह ने अदाणी ग्रीन एनर्जी लि. के 60 करोड़ डॉलर के बॉण्ड को रद्द कर दिया है। मामला सामने आने से पहले निर्गम को तीन गुना अभिदान मिला था।
समूह के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘अदाणी ग्रीन के निदेशकों के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग और अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग के लगाए गए आरोप निराधार हैं। हम उससे पूरी तरह से इनकार करते है। मामले में वह हर संभव कानूनी कदम उठाए जाएंगे।’’
इन खबरों के बीच शेयर बाजार में अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट आई। समूह की दस सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में लगभग 26 अरब डॉलर (2.19 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है। यह हिंडनबर्ग की जनवरी 2023 में रिपोर्ट आने के बाद बाजार मूल्यांकन में आई गिरावट से दोगुना से अधिक है।
अभियोग में कही गयी बातें आरोप हैं और प्रतिवादियों को तबतक निर्दोष माना जाता है जब तक कि वे दोषी साबित न हो जाएं।
अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि दी गई रिश्वत उन अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से छिपाई गई जिनसे अदाणी समूह ने 12 गीगावाट सौर बिजली की आपूर्ति करने वाली परियोजनाओं के लिए अरबों डॉलर जुटाए थे।
अमेरिकी कानून अपने निवेशकों या बाजारों से जुड़े मामलों में विदेशों में भ्रष्टाचार के आरोपों को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है।
उप सहायक अटॉर्नी जनरल लिसा मिलर ने कहा, ‘‘अदाणी और उनके सहयोगियों ने अमेरिकी निवेशकों की कीमत पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के माध्यम से बड़े पैमाने पर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध और वित्तपोषण प्राप्त करने का प्रयास किया।’’
अमेरिकी अटॉर्नी ब्रियोन पीस ने कहा कि प्रतिवादियों ने एक विस्तृत योजना तैयार की और हमारे वित्तीय बाजारों की कीमत पर खुद को लाभ पहुंचाने की कोशिश की।
अभियोजकों ने मामले में 62 वर्षीय अदाणी और अदाणी ग्रीन एनर्जी लि. के दो अधिकारियों... कार्यकारी निदेशक और उनके भतीजे सागर आर अदाणी और सीईओ विनीत एस जैन पर निवेशकों को धोखा देने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
तीनों पर पांच अन्य प्रतिवादियों की मदद से योजना को अंजाम देने का आरोप है, जो विदेशी भ्रष्ट गतिविधियां अधिनियम (एफसीपीए) और न्याय में बाधा डालने के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
इसमें कहा गया है कि गौतम अदाणी ने व्यक्तिगत रूप से एक सरकारी अधिकारी से कई बार मुलाकात की। अभियोजकों के अनुसार, प्रतिवादियों ने इस संबंध में बड़े स्तर पर दस्तावेज तैयार किये थे।
उदाहरण के तौर पर, सागर अदाणी ने अपने मोबाइल फोन का उपयोग सरकारी अधिकारियों को दी गई रिश्वत की पेशकश और वादे के विवरण पर नजर रखने के लिए किया था। वहीं जैन ने अपने फोन का उपयोग विभिन्न रिश्वत राशि का ब्योरा देने वाले दस्तावेज की तस्वीर लेने के लिए किया था।
प्रतिवादी रूपेश अग्रवाल ने पावरपॉइंट और एक्सेल का उपयोग कर रिश्वत योजना का विश्लेषण भी तैयार किया। अभियोग में गौतम और सागर अदाणी के साथ-साथ जैन पर साजिश रचने और प्रतिभूति धोखाधड़ी के आरोप लगाये गये हैं। साथ ही सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली एक अन्य नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी के पूर्व अधिकारी रंजीत गुप्ता और अग्रवाल पर एफसीपीए उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
अग्रवाल और एक कनाडाई संस्थागत निवेशक के तीन पूर्व कर्मचारियों... सिरिल कैबेन्स, सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा... पर न्याय में बाधा डालने और एफसीपीए उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)