नयी दिल्ली, 19 मई भारत में जब कोरोना वायरस महामारी का प्रसार शुरु हुआ तब मार्च में समाप्त तिमाही के दौरान अनिश्चितता को देखते हुये विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजार से 6.4 अरब डालर की पूंजी निकाल ली, हालांकि, इसके बाद अप्रैल और मई के दौरान स्थिति में सुधार देखा गया।
भारतीय पूंजी बाजार में निवेश करने वाले विदेशी पोटफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इससे पहले दिसंबर 2019 में समाप्त तिमाही के दौरान 6.3 अरब डालर का शुद्ध निवेश किया था। मार्निंगस्टार की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
इस साल जनवरी माह में एफपीआई भारतीय बाजारों में शुद्ध लिवाल बने रहे, उन्होंने 1.71 अरब डालर की लिवाली की, उसके बाद फरवरी में 26.50 करोड़ डालर की खरीदारी उन्होंने की। लेकिन मार्च 2020 में उन्होंने बिकवाली की राह पकड़ ली और कुल मिलाकर 8.4 अरब डालर की परिसंपत्तियों की शुद्ध बिकवाली उन्होंने की।
विदेशी निवेशकों ने जनवरी- मार्च तिमाही की शुरुआत सतर्कर्ता के साथ की। इस दौरान चीन और ईरान के बीच भू-राजनीतिक तनाव चल रहा था वहीं अमेरिका और चीन के बीच व्यापार संबंधों में तेजी से बदलाव देखा जा रहा था। हालांकि, उन्होंने अपनी जोखिम खपाने की स्थिति को मजबूत किया क्योंकि ये चिंतायें धीरे धीरे समाप्त होने लगीं थी।
जनवरी से मार्च तिमाही के दौरान एफपीआई भारतीय पूंजी बाजार में शुद्ध विक्रेता रहे और उन्होंने 6.4 अरब डालर की बिकवाली कर डाली। जबकि इससे पिछली तिमाही में उनहोंने 6.3 अरब डालर की शुद्ध खरीदारी की थी। मार्च की समापति पर भारतीय पूंजी बाजार में एफपीआई निवेश का मूल्य 281 अरब डालर रह गया था जो कि दिसंबर में समाप्ति तिमाही में 432 अरब डालर पर था।
विदेशी निवेशकों ने अप्रैल में भी भारतीय बाजार में बिकवाली जारी रखी, हालांकि अप्रैल 2020 में निकासी की रफ्तार कुछ कम हो गई। अप्रैल में एफपीआई ने 90.40 करोड़ डालर की शुद्ध बिकवाली की। उसके बाद मई 2020 में एफपीआई ने भारतीय बाजार में वापसी की और 12 मई तक 2.8 अरब डालर की शुद्ध खरीदारी उन्होंने की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी निवेशकों के बीच ऐसी धारणा बनी है कि भारत ने कोरोना वायरस को थामने में बेहतर काम किया है। इसके साथ ही सरकार और रिजर्व बैंक ने इस दौरान अर्थव्यवसथा को प्रोत्साहन देने के लिये कई तरह की घोषणायें की उनका भी विदेशी निवेशकों की धारणा पर सकारात्मक असर रहा।
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय इक्विटी में पिछले कई माह की तेजी के बाद तीव्र गिरावट और अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपये में गिरावट ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को पूंजी बाजार में फिर से प्रवेश करने का अच्छा मौका उपलब्ध करा दिया।
इसके मुताबिक आने वाले समय में निवेशकों की नजर अर्थव्यवस्था को खोलने और लॉकडाउन में दी जाने वाली छूट पर रहेगी।
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