नयी दिल्ली, एक अगस्त बिहार के गोपालगंज जिले जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि उन्हें मिली सजा में छूट मनमानापूर्ण, गलत सूचना पर आधारित एवं अनुचित ‘नहीं’ है।
दिवंगत अधिकारी की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका के जवाब में मोहन ने कहा कि उन्हें मिली छूट एक ऐसी समग्र एवं कठोर प्रक्रिया का परिणाम है जिसमें पर्याप्त नियंत्रण एवं संतुलन है।
उमा कृष्णैया ने आनंदमोहन को सजा में छूट देने के बिहार सरकार सरकार को फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
मोहन ने कहा, ‘‘(बिहार सरकार का) यह निर्णय मनमानापूर्ण, गलत सूचना पर आधारित और अनुचित नहीं है। जेल नियमों एवं विनियमों में सभी पहलुओं और कारकों को ध्यान में रखा गया और सघन मूल्यांकन के बाद ही राज्य ने प्रतिवादी को छूट देने का फैसला किया।’’
मोहन ने कहा कि इस मामले में छूट कानून सम्मत है तथा वह 10 अप्रैल 2023 को जारी की गयी संशोधन अधिसूचना के मार्फत छूट के हकदार है क्योंकि पिछली तारीख से लाभकारी संशोधन है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान याचिका में बिहार जेल नियमावली में किये गये संशोधन को चुनौती दी गयी है जो राज्य ने विशुद्धत: अपनी कार्यकारी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए किया था।
आठ मई को शीर्ष अदालत ने दिवंगत अधिकारी की पत्नी की याचिका पर मोहन एवं बिहार सरकार से जवाब मांगा था।
मोहन को बिहार जेल नियमावली में संशोधन के बाद 27 अप्रैल को जेल से रिहा कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता ने कहा कि गैंगस्टर से नेता बने मोहन को दी गयी उम्रकैद का मतलब जीवन भर कैद है और उसे महज यांत्रिक रूप से 14 साल नहीं समझा जा सकता है।
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