नयी दिल्ली, पांच जून खाद्य प्रसंस्करण उद्योग सचिव अनीता प्रवीण ने खाद्य कंपनियों से थोड़ा अधिक जिम्मेदार बनने को कहा है। प्रवीण ने बुधवार को कहा कि जब भी कोई खाद्य खेप गुणवत्ता संबंधी चिंता के कारण लौटाई जाती है, तो इससे भारत की बदनामी होती है।
उद्योग मंडल फिक्की के ‘फूडवर्ल्ड इंडिया 2024’ को संबोधित करते हुए उन्होंने उद्योग से अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हुए घरेलू और विदेशी बाजारों में उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की आपूर्ति करने को कहा।
सचिव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है और रोजगार के बड़े अवसर प्रदान करता है।
प्रवीण ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र किसानों की आय में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्होंने कहा कि भारत प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का एक बड़ा बाजार है और इसलिए कई वैश्विक कंपनियां इस क्षेत्र में उतरने की रुचि रखती हैं।
प्रवीण ने कार्यक्रम में भाग लेने वाली खाद्य कंपनियों के वरिष्ठ प्रबंधन से कहा, ‘‘हमें आपूर्तिकर्ता बनना चाहिए, न कि किसी और को ऐसा करने देना चाहिए। यह सुनिश्चित करना हमारे उद्योग की जिम्मेदारी है कि आपूर्ति न केवल मात्रा में बल्कि गुणवत्ता में भी बनी रहे।’’
सचिव ने इस बात पर खेद जताया कि खाद्य पदार्थों के साथ-साथ प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के वैश्विक निर्यात बाजार में देश की हिस्सेदारी बहुत कम है। उन्होंने खाद्य कंपनियों से उत्पादों की गुणवत्ता से समझौता किए बिना निर्यात बाजारों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।
उन्होंने कहा कि भारत को केवल प्रवासी भारतीयों को ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर सभी उपभोक्ताओं को सेवा प्रदान करनी चाहिए।
गुणवत्ता के बारे में बात करते हुए प्रवीण ने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि कभी-कभी हमें दुनियाभर में बदनामी का सामना करना पड़ता है। यह केवल कभी-कभी कुछ अवशेषों के रह जाने के मामले में नहीं होता है,...बल्कि स्तरीय गुणवत्ता नहीं होने के मामले में भी होता है। हम इस समस्या में तब भी फंस जाते हैं जब हम दूसरी तरफ उपभोक्ता को जो वादा किया गया है, उसे पूरा नहीं करते हैं। खेप वापस करने से हमें बदनामी मिलती है।’’
उन्होंने कहा कि उद्योग को इस पहलू पर थोड़ा और जिम्मेदार होने की जरूरत है।
सचिव ने कहा, ‘‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे देश से जो कुछ भी निकलता है, वह आपकी कंपनी के उत्पाद के रूप में न जाए, बल्कि भारत से निकले उत्पाद के रूप में जाए। अगर देश को बदनाम किया जाता है, तो यह हमारे लिए अच्छा नहीं है।’’
उन्होंने खाद्य कंपनियों से कहा, ‘‘हमें इस दिशा में काम करने की जरूरत है कि अगर यह भारत से जाता है, तो उत्पाद वास्तव में बहुत अच्छे होने चाहिए... हमें इस तरह की गुणवत्ता बनाए रखने की जरूरत है।’’
हाल ही में कुछ प्रमुख कंपनियों- एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ मसालों को हांगकांग और सिंगापुर में गुणवत्ता संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
खाद्य नियामक एफएसएसएआई में क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) एस विजयरानी ने उद्योग से सुरक्षा और गुणवत्ता के साथ-साथ पोषण मूल्य पर समझौता न करने को कहा। उन्होंने खाद्य कंपनियों से मोटे अनाज और अन्य पोषण खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया।
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