Foam in Yamuna: यमुना में जहरीले झाग को ले कर आप और भाजपा में जुबानी जंग

छठ पूजा पर सोमवार को यमुना में जहरीले झाग के बीच श्रद्धालुओं के पूजा करने की तस्वीरें और वीडियो सामने आने के बाद दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया.

बीजेपी और आप (Photo Credits-Wikimedia Commons)

नयी दिल्ली, 9 नवंबर : छठ पूजा पर सोमवार को यमुना में जहरीले झाग के बीच श्रद्धालुओं के पूजा करने की तस्वीरें और वीडियो सामने आने के बाद दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि आप सरकार ने नदी की "दयनीय" स्थिति को छुपाने के लिए यमुना तट पर छठ पूजा की अनुमति नहीं दी, वहीं आप के गोपाल राय और राघव चड्ढा ने नदी में झाग के लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकारों को दोषी ठहराया. वजीराबाद और ओखला के बीच यमुना का 22 किलोमीटर का हिस्सा नदी में प्रदूषण भार के लगभग 80 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है और यह यमुनोत्री से इलाहाबाद तक 1,370 किलोमीटर की लंबाई का 2 प्रतिशत से भी कम है. विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से छोड़े जाने वाले सीवर के बिना शोधित पानी में फॉस्फेट और सर्फेक्टेंट की मौजूदगी नदी में झाग का एक प्रमुख कारण है.

आप नेता एवं दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने दावा किया कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश नजफगढ़ और शाहदरा नालों के माध्यम से नदी में एक दिन में लगभग 15.5 करोड़ गैलन बिना शोधित अपशिष्ट जल छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इस पानी में बहुत सारा जैविक कचरा, रसायन और डिटर्जेंट ओखला बैराज की ऊंचाई से गिरते हैं, जिससे झाग बनता है.’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर में कागज और चीनी उद्योग भी इंदिरा कुंज के पास ओखला बैराज में हिंडन नहर के माध्यम से यमुना में अशोधित अपशिष्ट जल छोड़ते हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के संशोधित मानकों को पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार अपने जलमल शोधन संयंत्रों को अद्यतन करने के लिए काम कर रही है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा को नदी को साफ रखने में अपना योगदान देना चाहिए.

भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने झाग से ढकी यमुना में नाव की सवारी की. उन्होंने आरोप लगाया कि आप सरकार ने यमुना के तट पर छठ पूजा की अनुमति नहीं दी क्योंकि वह अत्यधिक प्रदूषण के कारण नदी में झाग को छुपाना चाहती थी. उन्होंने आरोप लगाया, "(दिल्ली के मुख्यमंत्री) अरविंद केजरीवाल 2013 से कह रहे हैं कि उनकी सरकार यमुना को पांच साल में नहाने लायक बना देगी. आज दिल्ली की हवा और पानी दोनों जहरीली हैं. उन्होंने यमुना पर छठ पूजा नहीं होने दिया ताकि कोई देख नहीं सके कि नदी कितनी जहरीली हो गई है.’’ इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने नदी में जहरीले झाग के लिए भाजपा नीत हरियाणा सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यहां भाजपा के नेताओं को पड़ोसी राज्य से जवाब मांगना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘(झाग के बारे में) मनोज तिवारी को हरियाणा की भाजपा सरकार से पूछना चाहिए. दिल्ली यमुना में जहरीला पानी नहीं छोड़ती है बल्कि हरियाणा छोड़ता है.’’ यह भी पढ़ें : Uttarakhand Foundation Day 2021: उत्‍तराखंड आज अपना स्‍थापना दिवस मना रहा है, ये है CM धामी का कायक्रम

दिल्ली सरकार ने गत जून में नदी में प्रदूषण रोकने के लिए ऐसे साबुन और डिटर्जेंट की बिक्री, भंडारण, परिवहन और विपणन पर प्रतिबंध लगा दिया था जो नवीनतम बीआईएस मानकों के अनुरूप नहीं है. अनधिकृत कॉलोनियों से अनुपचारित अपशिष्ट जल और दिल्ली के भीतर कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकलने वाले अपशिष्ट की खराब गुणवत्ता नदी में प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में औसतन 35 में से 24 एसटीपी पिछले एक साल से अपशिष्ट जल के लिए निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते हैं. दिल्ली भर के औद्योगिक क्षेत्रों में 13 सीईटीपी में से केवल छह औसतन अपशिष्ट जल के लिए डीपीसीसी मानकों का अनुपालन करते हैं. दिल्ली में एक दिन में लगभग 72 करोड़ गैलन अपशिष्ट जल उत्पन्न होता है. दिल्ली भर में 20 स्थानों पर स्थित 35 एसटीपी 597 एमजीडी तक सीवेज का उपचार कर सकते हैं और अपनी क्षमता का लगभग 90 प्रतिशत उपयोग कर रहे हैं.

गत जनवरी में, दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण से कहा था कि यमुना में झाग को "काफी" कम करने के लिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में एसटीपी के उन्नयन के लिए तीन से पांच साल लगेंगे जो भूमि और धन की उपलब्धता पर निर्भर करेगा. जुलाई में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा था कि नदी में न्यूनतम पर्यावरण प्रवाह के अभाव में यमुना नहाने लायक नहीं हो सकती. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रुड़की द्वारा किए गए एक अध्ययन ने सिफारिश की है कि डाउनस्ट्रीम पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने के लिए हरियाणा के यमुना नगर जिले में हथिनीकुंड बैराज से नदी में 23 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड पानी छोड़ा जाए.

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