नयी दिल्ली, 30 जून चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों के दौरान राजकोषीय घाटा बढ़कर 4.66 लाख करोड़ रुपये या बजट अनुमानों का 58.6 प्रतिशत हो गया। कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के कारण कर संग्रह कम रहने के कारण राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी हुई।
पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा बजट अनुमानों का 52 प्रतिशत था।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा फरवरी में पेश किए गए बजट में सरकार ने 2021-21 के लिए राजकोषीय घाटा 7.96 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहने का लक्ष्य तय किया था।
हालांकि, अब कोरोना वायरस के प्रकोप से पैदा हुए आर्थिक व्यवधानों को देखते हुए इन लक्ष्यों में संशोधित किया जाना है।
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लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के मुताबिक राजकोषीय घाटा मई के अंत में 4,66,343 करोड़ रुपये था। राजकोषीय घाटा अप्रैल के अंत में बजट अनुमानों का 35.1 प्रतिशत था।
राजकोषीय घाटा 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.6 प्रतिशत के बराबर हो गया था, जो सात साल में सबसे अधिक है। राजस्व वसूली में कमी के कारण ऐसा हुआ।
सीजीए के आंकड़ों के अनुसार सरकार की राजस्व प्राप्ति 44,667 करोड़ रुपये या बजट अनुमानों का 2.2 प्रतिशत रही। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान राजस्व प्राप्ति बजट अनुमानों का 7.3 प्रतिशत थी।
आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए आईसीआरए की उपाध्यक्ष अदिति नायर ने कहा कि राजस्व प्राप्तियों में भारी गिरावट के बीच कुल खर्चों में मामूली कमी के चलते पहले दो महीनों में राजकोषीय घाटा 4.7 लाख करोड़ रुपये हो गया और ऐसे में यह बहुत कठिनाइयों भरा वित्तीय वर्ष होगा।
उन्होंने कहा कि आईसीआरए का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021 में भारत सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़कर 13 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 6.7 प्रतिशत हो जाएगा, जबकि बजट अनुमानों में इसके आठ लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहने की बात कही गई थी।
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