नयी दिल्ली, 18 जुलाई निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजशन (फियो) ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) रिफंड का दावा करने वाले उन निर्यातकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग है, जिन्होंने अपने कारोबार का जो पता दिया है, वे वहां नहीं मिले हैं। ऐसे करीब 1,377 निर्यातकों ने 1,875 करोड़ रुपये के कर रिफंड का दावा किया है।
फियो के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ ने शनिवार को कहा कि हम सरकार का पूरा सहयोग करेंगे, क्योंकि इस तरह की गतिविधियों से निर्यातक समुदाय की छवि को आघात पहुंचता है।
सर्राफ ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कहा, ‘‘हम आपसे आग्रह करते हैं कि इन 1,377 गायब निर्यातकों का पूरा ब्योरा वाणिज्य मंत्रालय को उपलब्ध कराया जाए, जिससे उपलब्ध सूचना के आधार पर इसे पुष्ट किया जा सके। यदि उनका पता नहीं चलता है तो विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) को कार्रवाई करनी चाहिए और उनका आयात निर्यात कोड (आईईसी) निलंबित-रद्द करना चाहिए, जिससे वे आगे आयात-निर्यात नहीं कर सकें।’’
अधिकारियों के अनुसार 1,377 निर्यातकों ने 1,875 करोड़ रुपये के कर रिफंड का दावा था। सत्यापन की प्रक्रिया में अपने कारोबार के मूल स्थान पर नहीं मिले। सरकार ने 7,516 जोखिम वाले निर्यातकों के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की है। जोखिम वाले निर्यातकों की जानकारी सीजीएसटी से साझा की जाती है ताकि उनका सत्यापन किया जा सके।
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जोखिम वाले निर्यातकों को सीमा शुल्क, जीएसटी, आयकर और डीजीएफसी आंकड़ों के आधार पर चिह्नित किया जाता है। व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ निर्यातकों ने बताया कि उन्हें इस वजह से जोखिम की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि उनके आपूर्तिकर्ता या उप-आपूर्तिकर्ता ने जीएसटी जमा नहीं कराया है।
एक विशेषज्ञ का कहना है कि कोई निर्यातक किस हद तक जाकर अपने आपूर्तिकर्ताओं की विश्वसनीयता की जांच कर सकता है।
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