जरुरी जानकारी | वित्त मंत्री बैंकों, एनबीएफसी प्रमुखों के साथ कर्ज पुनर्गठन पर बृहस्पतिवार को करेंगी चर्चा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बैंक और एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) प्रमुखों के साथ बृहस्पतिवार को समीक्षा बैठक करेंगी। उनकी इस बैठक का मकसद कोविड-19 से जुड़े वित्तीय दबाव के समाधान के लिये एक बारगी कर्ज पुनर्गठन योजना को सुचारू और तेजी से क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है।
नयी दिल्ली, दो सितंबर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बैंक और एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) प्रमुखों के साथ बृहस्पतिवार को समीक्षा बैठक करेंगी। उनकी इस बैठक का मकसद कोविड-19 से जुड़े वित्तीय दबाव के समाधान के लिये एक बारगी कर्ज पुनर्गठन योजना को सुचारू और तेजी से क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले महीने कहा था कि वह कंपनियों और खुदरा कर्ज ले रखे लोगों को राहत देने के लिये कर्ज को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में डाले बिना एक बारगी पुनर्गठन की मंजूरी देगा
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बैंक आरबीआई के नियम और पात्रता के अनुरूप निदेशक मंडल से पुनर्गठन व्यवस्था की मंजूरी लेने की प्रक्रिया में है। आरबीआई ने छह अगस्त को अधिसूचना जारी कर इस बारे में नियम और पात्रता मानदंड दिया था।
सूत्रों के अनुसार कर्ज पुनर्गठन को लेकर बैंकों की तैयारी का आकलन करने के अलावा बैठक में 20.97 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
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वित्त मंत्रालय ने इसी सप्ताह एक बयान में कहा था, ‘‘समीक्षा के दौरान इस बात पर गौर किया जाएगा कि आखिरकार किस तरह से कारोबारियों और लोगों को व्यवहार्यता के आधार पर पुनरुद्धार संबंधी व्यवस्था का सही ढंग से उपयोग करने में सक्षम बनाया जाए। समीक्षा के दौरान विभिन्न आवश्यक कदमों जैसे कि बैंक नीतियों को अंतिम रूप देने और कर्जदारों की पहचान करने के साथ-साथ उन मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी जिन्हें सुचारू एवं शीघ्र कार्यान्वयन के लिए सुलझाना आवश्यक है।’’
इसमें कहा गया था कि वित्त मंत्री को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के शीर्ष प्रबंधन के साथ ‘बैंक ऋणों में कोविड-19 संबंधी दबाव को लेकर समाधान व्यवस्था’ के क्रियान्वयन की समीक्षा करेंगी।
पुनर्गठन लाभ वे लोग ले सकते हैं जिनके कर्ज की किस्त एक मार्च तक आ रही थी और चूक 30 दिन से अधिक नहीं होना चाहिए।
इसके अलावा रिजर्व बैंक द्वारा गठित के वी कामत समिति इस बारे में वित्तीय मानदंडों पर काम कर रही है।
समिति की सिफारिशों को उसके गठन के 30 दिनों के भीतर अधिसूचित किया जाना है। इसका मतलब है कि अधिसूचना छह सितंबर तक आ जानी चाहिए।
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