जरुरी जानकारी | नारायणमूर्ति-अमेजन की साझा कंपनी के कर विवाद मामले में वित्त मंत्री सुनक भी घिरे

लंदन, 14 जून इन्फोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति की कंपनी और अमेजन डॉट कॉम की संयुक्त उद्यम ऑनलाइन खुदरा कंपनी क्लाउडटेल इंडिया प्राइवेट लि. से ब्रिटेल के कर विभाग ने ब्याज और जुर्माना समेत 55 लाख पौंड की मांग की है तथा इस मामले में मीडिया की खबरों पर वित्र मंत्री ऋषि सुनक के कार्यालय को बयान देना पड़ा है।

सोमवार को मीडिया रिपोर्ट में कंपनी ने पिछले चार साल में नाममात्र कर दिया है। रपट के अनुसार कंपनी का कहाना है कि वह कर अधिकारियों के नोटिस को चुनौती दी है।

ब्रिटेन के वित्त मंत्रालय के कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘वित्त मंत्री ने जब से पदभार संभाला है, बड़ी डिजिटल कंपनियों पर कैसे कर लगाया जाए, इस पर एक अंतरराष्ट्रीय समझौते तक पहुंचना उनकी प्राथमिकता रही है।’’

प्रवक्ता के अनुसार, ‘‘वित्त मंत्री का रुख बिल्कुल साफ है। उनके हिसाब से यह मायने रखता है कि कर का भुगतान कहाँ किया जाता है। और किसी भी समझौते में यह सुनिश्चित होना चाहिए कि ब्रिटेन में कारोबार करने वाली डिजिटल कंपनियां कर का भुगतान करें...।’’

मूर्ति के दामाद सुनक को ब्रिटेन का सबसे ढनाढ्य मंत्री माना जाता है। इसका बड़ा कारण उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति की पारिवारिक संपत्ति है।

अखबार गार्जियन’ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि क्लाउडटेल के खातों और गतिविधियों के विश्लेषण से पता चलता है कि अमेजन की खुदरा कंपनी अमेजन डॉट इन पर कंपनी पर सबसे बड़े विक्रेताओं में से एक है। अमेजन ने कथित तौर पर क्लाउडटेल जैसे स्वतंत्र विक्रेताओं को ‘विशेष कारोबारी’ के रूप में विकसित किया। मंच के जरिये 2019 में बिके कुल सामान में 35 प्रतिशत इसकी हिस्सेदारी रही ।

गार्जियन में छपी रिपोर्ट के अनुसार मूर्ति की कंपनी कैटामरान वेंचर्स की क्लाउडटेल में परोक्ष रूप से 76 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि शेष 24 प्रतिशत हिस्सेदारी अमेजन के पास है। कंपनी के दो शीर्ष पद मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और वित्त निदेशक अमेरिकी खुदरा कंपनी के पास है। क्लाउडटेल की होल्डिंग कंपनी प्रायोनी का संचालन भी अमेजन के पूर्व प्रबंधक कर रहे हैं।

इसमें कहा गया है कि फिलहाल यह साफ नहीं है कि कर विवाद किस मामले से जुड़ा है। कंपनी का कहना है कि वह कर मांग का विरोध कर रही है। चूंकि मामला अदालत में विचाराधीन है, हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।

उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही सुनक की अगुवाई में विकसित देशों का समूह जी-7 वित्त मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जतायी कि प्रौद्योगिकी कंपनियों को अधिक कर का भुगतान करना चाहिए।

अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘कंपनी को चालू वर्ष में माल और सेवा कर खुफिया महानिदेशालय से ब्याज और जुर्माना समेत 5,455 लाख रुपये (55 लाख पौंड) के लिए सेवा कर को लेकर कारण बताओ नोटिस प्राप्त हुआ है।’’

इसमें दावा किया गया है कि सालाना रिपोर्ट के अनुसार केवल अमेजन के माध्यम से बिक्री करने वाली क्लाउडटेल ने पिछले साल 9.5 करोड़ पौंड का भुगतान शुल्क के रूप में अमेजन को किया। यह भारतीय कंपनी द्वारा दर्शाए गए लाभ की तुलना में करीब 10 गुना अधिक है।

विश्लेषकों के अनुसार मूर्ति ने उद्यम पूंजी फर्म कैटामरान बनाया। यह होबर मल्लो ट्रस्ट की एक न्यासी है, जो अंततः क्लाउडटेल में हिस्सेदार है। इसका लाभ मूर्ति परिवार को जाता है।

अखबार के अनुसार, ‘‘पूरा ढांचा सवाल पैदा करता है कि क्या क्लाउडटेल वास्तव में अमेजन की संपत्ति है। और मूर्ति केवल कर्जदाता का नाम है। सौदे का सटीक विवरण तभी पता चलेगा जब जांच एजेंसियां ​​कंपनी से शेयरधारक समझौते का ब्योरा मांगेगी।’’

क्लाउडटेल के नियंत्रण से जुड़े सवालों को भारत में व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भी उठाया है। उसने भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को फरवरी में पत्र लिखकर संयुक्त उद्यम की जांच करने के लिए कहा ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसके प्रमुख कर्मचारी अमेजन से क्यों जुड़े हैं।’’

गोयल को लिखे पत्र में कैट ने कहा, ‘‘हालांकि कंपनी में मूर्ति की बहुलांश हिस्सेदरी है, लेकिन उन्होंने दोनों कंपनियों क्लाउटेल और प्रायोनी में दोनों प्रमुख पदों पर अमेजन के तथाकथित पूर्व कर्मचारियों को बैठने की अनुमति दी है।’’

वहीं अमेजन का कहना है कि कंपनी स्थानीय कानूनों का पूरी तरह से अनुपालन कर रही है। हालांकि, पिछले सप्ताह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को भारत में अमेजन की बिक्री की गतिविधियों की जांच फिर से शुरू करने की अनुमति मिल गई।

क्लाउटेल की होल्डिंग कंपनी प्रायोनी और कैटामरान तथा मूर्ति ने गार्जियन से कहा, ‘‘क्लाउडटेल ने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है और पूरी तरह से देश के कानून का पालन किया है। मूर्ति परिवार ने प्रायोनी में आवश्यक इक्विटी पूंजी डाला है जो उसकी शेयरधारिता के अनुरूप है। आरोप निराधार और गलत हैं।’’

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