देश की खबरें | उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश फातिमा बीवी का निधन

कोल्लम (केरल), 23 नवंबर उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश एवं तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति फातिमा बीवी का बृहस्पतिवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।

वह 96 वर्ष की थीं।

एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि न्यायमूर्ति बीवी को बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों के कारण कुछ दिन पहले निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बृहस्पतिवार अपराह्न लगभग सवा 12 बजे उनका निधन हुआ।

सूत्र ने कहा, ‘‘उनका शव पतनमतिट्टा में स्थित उनके आवास वापस लाया जा रहा है। पतनमतिट्टा जुमा मस्जिद में कल (24 नवंबर को) उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।’’

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने न्यायमूर्ति बीवी के निधन पर शोक व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने लड़कियों के सामने आने वाली शैक्षणिक चुनौतियों से पार पाने से लेकर विधि क्षेत्र में अपना करियर शुरू करने के बाद उच्चतम न्यायाशीध की पहली महिला न्यायाधीश बनने तक की न्यायमूर्ति बीवी की यात्रा को याद किया।

उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति बीवी मुस्लिम समुदाय की पहली महिला थीं, जो उच्च न्यायपालिका का हिस्सा बनीं और उन्होंने सामाजिक स्थितियों के सभी प्रतिकूल पहलुओं को एक चुनौती मानकर उनका सामना किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका जीवन सभी के लिए, खासकर महिलाओं के लिए प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति बीवी को श्रद्धांजलि देने के लिए उन्हें केरल प्रभा पुरस्कार के लिए चुना गया है।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने न्यायमूर्ति फातिमा बीवी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश ओर तमिलनाडु की राज्यपाल के रूप में अपनी छाप छोड़ी।

जॉर्ज ने एक बयान में कहा, ‘‘वह एक बहादुर महिला थीं, जिनके नाम कई रिकॉर्ड हैं। वह ऐसी हस्ती थीं, जिन्होंने अपने जीवन से यह दिखाया कि दृढ़ इच्छा शक्ति और मकसद को लेकर समझ होने से किसी भी विपरीत परिस्थिति से पार पाया जा सकता है।’’

न्यायमूर्ति बीवी का केरल के पतनमतिट्टा जिले में अप्रैल 1927 में जन्म हुआ था। उन्होंने वहां स्थित ‘कैथोलिकेट हाई स्कूल’ से स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर तिरुवनंतपुरम स्थित ‘यूनिवर्सिटी कॉलेज’ से बीएससी की डिग्री हासिल की।

इसके बाद उन्होंने तिरुवनंतपुरम स्थित ‘विधि महाविद्यालय’ से कानून की डिग्री ली और 1950 में वकील के रूप में पंजीकरण कराया।

इसके बाद उन्हें 1958 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवाओं में मुंसिफ के रूप में नियुक्त किया गया। उन्हें 1968 में अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और वह 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बनीं।

न्यायमूर्ति बीवी 1974 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश बनीं और 1980 में उन्हें आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। उन्हें 1983 में केरल उच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया और अगले ही वर्ष वह वहां स्थायी न्यायाधीश बन गईं।

वह 1989 में भारत के उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनीं और 1992 में वहां से सेवानिवृत्त हुईं।

न्यायमूर्ति बीवी ने सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य के रूप में कार्य किया। वह 1997 में तमिलनाडु की राज्यपाल बनीं।

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