अलंग (गुजरात), 28 सितंबर गुजरात के अलंग के लिए सोमवार यानी 28 सितंबर का दिन काफी भावनात्मक और यादगार रहेगा। दुनिया में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले युद्धपोत आईएनएस विराट को तोड़ने का काम यहां शुरू होने जा रहा है। भारतीय नौसेना ने तीन साल पहले इस युद्धपोत को सेवानिवृत्त कर दिया था।
सेंटॉर-श्रेणी के इस विमानवाहक पोत ने करीब 30 साल तक भारतीय नौसेना में अपनी सेवाएं दीं। इसके नाम सबसे अधिक सेवा देने वाले युद्धपोत का गिनीज बुक में रिकॉर्ड है। आईएनएस विराट को यहां अलंग में तोड़ा जाएगा, जो दुनिया के सबसे बड़े जहाज निस्ताकरण कारखानों में से एक है।
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पोत परिवहन मंत्री मनसुख मंडाविया ने यहां इस युद्धपोत को विदाई देने के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘इस ऐतिहासिक युद्धपोत ने 11 लाख किलोमीटर की यात्रा की है। यह पृथ्वी के 27 चक्कर लगाने के बराबर है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज मैं अलंग में आईएनएस विराट को सम्मान के साथ विदाई दे रहा हूं। आईएनएस विराट ने हमारे देश को 30 साल तक शानदार तरीके से सेवा दी है। आज यह युद्धपोत अलंग में ‘रिसाइक्लिंग’ के लिए अपनी अंतिम यात्रा पर निकल रहा है।’’
नौसेना के इस गौरव ने पांच नौसनाध्यक्षों सहित 40 ध्वज अधिकारियों को अपनी सेवाओं के जरिये तैयार किया है।
मंत्री ने बताया कि कोचीन शिपयार्ड एक और विशाल युद्धपोत बना रहा है। उन्होंने कहा कि आईएनएस विराट को संग्रहालय में बदलने के लिए प्रयास किए गए, लेकिन हम इस योजना को अमलीजामा नहीं पहना सके। ‘‘एक विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था यह एक दशक से अधिक नहीं टिक सकता।’’
मंडाविया ने कहा, ‘‘सरकार आईएनएस विराट को संग्रहालय में बदलने के लिए 400 से 500 करोड़ रुपये तक खर्च करने को तैयार थी। लेकिन विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट अनुकूल नहीं थी। इस वजह से हम इसे आंसुओं के साथ विदाई दे रहे हैं।’’ मंडाविया ने कहा कि हर साल वैश्विक स्तर पर करीब 30 प्रतिशत या 280 जहाजों को रिसाइकिल किया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘अलंग ओड़िशा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, गुजरात और अन्य राज्यों के करीब 30,000 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। इसके अलावा यह अन्य कारोबारी गतिविधियों के जरिये 3.5 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष तरीके से समर्थन देता है।
आईएनएस विराट को 1959 में ब्रिटिश नौसेना में शामिल किया गया था। तब इसका नाम एचएमएस हर्मिस था। 1984 में इसे सेवानिवृत्त कर दिया गया। बाद में इसे भारत को बेचा गया। भारतीय नौसेना में इसे 12 मई, 1987 में शामिल किया गया।
आईएनएस विराट कई महत्वपूर्ण अभियानों में शामिल रहा। इनमें ‘ऑपरेशन ज्यूपिटर’ और 1989 में श्रीलंका में शांति बरकरार रखने का अभियान शामिल है।
इसके अलावा 2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद यह ‘ऑपरेशन पराक्रम’ में भी शामिल रहा।
अधिकारियों ने बताया कि इस जहाज को 2012 में सेवानिवृत्त किया जाना था, लेकिन आईएनएस विक्रमादित्य के आने में देरी की वजह से इसे टालना पड़ा। आईएनएस विक्रमादित्य को 2014 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।
अंतत: आईएनएस विराट को छह मार्च, 2017 को सेवानिवृत्त किया गया।
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