नई दिल्ली, 19 दिसंबर कोविड-19 महामारी के चलते आई मंदी के बाद वर्ष 2021 में तेजी से पुनरुद्धार के बीच नए साल में भारत का निर्यात बढ़ने की उम्मीद है जिसमें वैश्विक बाजारों में बढ़ती मांग, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना तथा कुछ अंतरिम व्यापार समझौतों के चलते घरेलू विनिर्माण में वृद्धि का खास योगदान होगा।
देश के निर्यात में सकारात्मक वृद्धि की उम्मीदें विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अनुमानों के अनुरूप ही हैं। डब्ल्यूटीओ ने वर्ष 2022 में वैश्विक व्यापार में 4.7 प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान जताया है।
निर्यातकों का मानना है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का निर्यात 400 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगा और वर्ष 2022-23 में यह 475 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।
हालांकि निर्यातकों का मानना है कि वृद्धि और वैश्विक मांग इस पर भी निर्भर करेगी कि दुनिया भर में बड़े पैमाने पर टीकाकरण के जरिये कोविड-19 और वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन पर किस हद तक काबू पाया जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के सितंबर में जारी एक सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी सहयोगियों को दी जाने वाली सेवाओं सहित सॉफ्टवेयर सेवाओं का निर्यात 31 मार्च 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में 148.3 अरब डॉलर रहा था। यह आंकड़ा दुनिया के शीर्ष तेल निर्यातक सऊदी अरब को 2021 में तेल बिक्री से संभावित आय से अधिक है।
वाणिज्य सचिव बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि दुनिया अब भारत को एक भरोसेमंद वैश्विक व्यापार भागीदार के रूप में सम्मान देती है और पश्चिम एशिया तथा दक्षिण अमेरिकी देशों सहित नए क्षेत्रों में देश का निर्यात बढ़ रहा है।
उन्होंने पीटीआई- को बताया कि कारोबारी सुगमता, पीएलआई जैसी प्रोत्साहन योजनाएं और अन्य उपाय व्यापार को सुविधाजनक बना रहे हैं।
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