नयी दिल्ली, चार जून उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कथित आबकारी नीति घोटाले के सिलसिले में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया।
शीर्ष अदालत ने हालांकि कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से जुड़े मामलों में क्रमशः अपनी अंतिम अभियोजन शिकायत और आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद सिसोदिया जमानत के लिए अपनी याचिकाएं फिर से दायर कर सकते हैं।
अभियोजन शिकायत ईडी के आरोप पत्र के समान है।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अवकाशकालीन पीठ ने ईडी और सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर गौर किया कि केंद्रीय जांच एजेंसियां तीन जुलाई तक अपनी अंतिम अभियोजन शिकायत और आरोप पत्र दाखिल करेंगी।
सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने उनके लिए जमानत का अनुरोध करते हुए कहा कि इन मामलों में सुनवाई अब तक शुरू नहीं हुई है, जबकि सिसोदिया लगभग 15 महीने से हिरासत में हैं। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में सुनवाई शुरू होने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि जांच अब भी जारी है।
आप नेता सिसोदिया ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को झटका देते हुए उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था और कहा था कि यह मामला उनके द्वारा सत्ता के गंभीर दुरुपयोग और जनता के विश्वास के उल्लंघन से जुड़ा है।
सिसोदिया ने निचली अदालत के 30 अप्रैल के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें अब रद्द कर दी गई दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।
सीबीआई ने सिसोदिया को शराब नीति मामले में उनकी कथित भूमिका के लिए 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था। ईडी ने उन्हें 9 मार्च, 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी पर आधारित धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था।
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