देश की खबरें | हिजाब मामले पर अदालत का फैसला सभी को मानना चाहिए: शाह

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लखनऊ, 21 फरवरी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि हिजाब विवाद पर अदालत का फैसला आने के बाद सभी को उसे स्वीकार करना चाहिए, लेकिन उनका निजी रूप से यह मानना है कि वर्दी संबंधी स्कूल के नियम का पालन सभी धर्मों के लोगों को करना चाहिए।

शाह ने कहा कि अंतत: यह फैसला करना होगा कि देश संविधान के आधार पर काम करेगा या किसी की इच्छा से चलेगा।

उन्होंने कहा कि इस मामले पर अदालत का फैसला आने के बाद सभी को इसे स्वीकार करना चाहिए।

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के क्रियान्वयन के मामले पर शाह ने कहा कि इससे पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। बहरहाल, उन्होंने कहा कि इससे संबंधित फैसला कोविड की स्थिति से जुड़ा है।

शाह ने नेटवर्क 18 के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि सभी धर्मों के लोगों को स्कूल की वर्दी संबंधी नियम का पालन करना चाहिए और यह मामला अब अदालत में है। अदालत इस मामले पर सुनवाई कर रही है। वह जो भी फैसला करे, उसका पालन किया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अंतत: यह फैसला करना होगा कि देश संविधान के आधार पर चलेगा या किसी की मर्जी से चलेगा। मेरी निजी राय तब तक के लिए है, जब तक अदालत कोई फैसला नहीं करती और जब अदालत फैसला सुना देगी, तो मुझे इसे स्वीकार करना चाहिए और हरेक को उसे स्वीकार करना चाहिए।’’

इस मामले में ‘कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया’ की संलिप्तता के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, ‘‘ये लोग सक्रिय रूप से शामिल हो सकते हैं, लेकिन मैं केवल इतना कहूंगा कि उनके इरादे पूरे नहीं होंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अदालत का निर्णय आने पर भारत के लोग उसे स्वीकार करेंगे।’’

कर्नाटक में शुरू हुआ हिजाब का मामला अब देशभर में विवाद का बड़ा मुद्दा बन गया है। इसकी गूंज उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी सुनाई दे रही है।

समाचार समूह की ओर से जारी बयान के अनुसार, शाह ने सीएए के क्रियान्वयन के मुद्दे पर कहा, ‘‘जब तक हम कोविड-19 से मुक्त नहीं हो जाते, यह प्राथमिकता नहीं हो सकता। हमने तीन लहर देखी हैं। शुक्र है कि चीजें अब बेहतर हो रही हैं और तीसरी लहर का असर कम हो रहा है। इससे (सीएए) संबंधित फैसला कोविड हालात से जुड़ा है, लेकिन उससे पीछे हटने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।’’

उन्होंने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की पूर्व सरकारों के दौरान गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और आतंकवाद रोकथाम अधिनियम (पोटा) के तहत दर्ज मामले वापस लेने को लेकर दोनों दलों पर निशाना साधा।

शाह ने कहा, ‘‘कानून-व्यवस्था अहम है और अब प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी ने आतंकवाद पर बात की है। उन्होंने हरदोई में अहमदाबाद बम विस्फोट पर बात की, जिसमें 38 लोगों को मृत्युदंड सुनाया गया है। उन्होंने कहा कि ये आतंकवादी सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान जेल से रिहा कर दिए गए थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे 11 मामले सपा और बसपा के कार्यकाल में हुए, जब यूएपीए और पोटा मामले वापस ले लिए गए। देश में सुरक्षा को लेकर सपा और बसपा का क्या कहना है? उन्हें जनता को जवाब देना होगा।’’

शाह ने राजनीतिक रूप से अहम राज्य उत्तर प्रदेश में पार्टी की जीत का भरोसा जताया।

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