पुणे, 17 सितंबर पुणे की एक विशेष अदालत ने जासूसी के एक मामले में आरोपी डीआरडीओ वैज्ञानिक प्रदीप कुरूलकर का पॉलीग्राफ, वॉयस लेयर और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण परीक्षण कराने का महाराष्ट्र आतंकवाद-निरोधक दस्ते (एटीएस) का अनुरोध खारिज कर दिया है।
विशेष न्यायाधीश वी आर काचरे ने शनिवार को एटीएस के उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत से कुरूलकर का पॉलीग्राफ, वॉयस लेयर और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण परीक्षण कराने के लिए उनकी सहमति मांगने का अनुरोध किया गया था।
पुणे में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से जुड़ी एक प्रयोगशाला के तत्कालीन निदेशक कुरूलकर को पाकिस्तानी खुफिया एजेंट को कथित रूप से गोपनीय सूचना देने को लेकर तीन मई को शासकीय गुप्त बात अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।
बचाव पक्ष के वकील ऋषिकेश गानु ने कहा कि आरोपी को उक्त परीक्षणों के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। उन्होंने दलील दी कि पूरा मामला टेलीफोन पर की गयी बातचीत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर आधारित है तथा ये उपकरण एटीएस के पास हैं।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ मेरा मत है कि आरोपी को उसकी सहमति के बगैर पॉलीग्राफ या वॉयस लेयर या मनोवैज्ञानिक विश्लेषण परीक्षण के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता है।’’
उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट और सुस्थापित कानून है कि किसी को भी उक्त प्रविधियों से गुजरने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, भले ही आपराधिक मामलों या किसी अन्य विषय की जांच के सिलसिले में ही इसकी जरूरत क्यों न हो।
अदालत ने कहा कि ऐसा करना व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी में गैर जरूरी अतिक्रमण होगा।
अदालती आदेश में कहा गया है, ‘‘पूरी चर्चा पर गौर करने तथा सेल्वी एवं अन्य बनाम कर्नाटक राज्य मामले में ऐतिहासिक फैसले के आधार पर मेरा मत है कि दोनों आवेदन खारिज किये जाने लायक हैं।’’
इससे पहले, एटीएस ने इस मामले में अपने आरोप पत्र में आरोप लगाया था कि कुरूलकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंट के प्रति आकर्षित हुआ तथा उसने भारतीय मिसाइल प्रणाली तथा अन्य गोपनीय रक्षा परियोजनाओं के बारे में उसके साथ बातचीत की।
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