नयी दिल्ली, 24 दिसंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना नदियों के पानी की गुणवत्ता हर समय पीने योग्य या नहाने योग्य जल के स्तर की रहे।
अधिकरण ने निगरानी केन्द्रों की संख्या और नदियों की निगरानी की आवृत्ति बढ़ाने सहित कई निर्देश पारित किए तथा प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि नदियां ठोस कचरा या जलमल से प्रदूषित न हों।
एनजीटी आगामी महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों की जल गुणवत्ता के मुद्दे पर सुनवाई कर रहा था। अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत एक याचिका में दोनों नदियों में नालियों के माध्यम से अशोधित सीवेज बहाए जाने का भी आरोप लगाया गया।
प्रत्येक 12 वर्ष पर आयोजित होने वाले महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक प्रयागराज में किया जाएगा।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) की दलीलों पर संज्ञान लिया, जिसके अनुसार, ‘‘महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में किसी भी नाले से गंगा या यमुना में अशोधित मलजल प्रवाहित नहीं किया जाएगा।’’
पीठ ने यह भी कहा कि एएजी के अनुसार, अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि पानी की गुणवत्ता जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) के 30 मिलीग्राम प्रति लीटर (एमजी/एल) से नीचे न जाए।हालांकि बीओडी मानक को 10 मिलीग्राम/एल पर बनाए रखने का प्रयास किया जाएगा, साथ ही फेकल कोलीफॉर्म स्तर को 100 एमपीएन/100 मिलीलीटर की सर्वाधिक संभावित संख्या (एमपीएन) के स्तर पर बनाए रखा जाएगा।
बीओडी ऑक्सीजन की वह मात्रा है जो सूक्ष्मजीव किसी नमूने में कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने के लिए उपभोग करते हैं, जबकि फेकल कोलीफॉर्म (एफसी) का स्तर मनुष्यों और पशुओं के मलमूत्र में मौजूद सूक्ष्मजीवों से होने वाले दूषण को दर्शाता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, जल गुणवत्ता के आंकड़ों का विश्लेषण बीओडी और एफसी के औसत मूल्यों का अनुमान लगाकर किया जाता है।
अधिकरण ने उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और सीपीसीबी को 31 दिसंबर और 28 फरवरी तक अनुपालन की स्थिति दर्शाते हुए दो व्यापक कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
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