नयी दिल्ली, 10 जुलाई आयकर विभाग ने अधिकारियों से शुक्रवार को आकलन वर्ष 2017-18 तक के रिफंड दावों के साथ दाखिल रिटर्न के मामलों को 31 अक्टूबर 2020 तक निपटान करने को कहा।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कर अधिकारियों को इस तरह की रिटर्न की जांच-परख करने के लिये दी गयी समय सीमा का विस्तार किया है। पहले यह समय सीमा 31 दिसंबर 2019 थी, उस समय तक जिन रिटर्न को जांच परख के लिये नहीं लिया जा सका उन्हें अब 31 अक्टूबर 2020 तक निपटाने को कहा गया है।
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सीबीडीटी ने कहा, ‘‘इस मामले में करदाताओं की समस्याओं को कम करने के लिये बोर्ड... समयसीमा में ढील देता है और निर्देश देता है कि जो रिटर्न आकलन वर्ष 2017-18 तक के वैध तरीके से ‘रिफंड दावों’ के साथ फाइल किये गये उन सभी रिटर्न का जिनका निपटान नहीं किया जा सका है और जिस पर समय के साथ कुछ पाबंदियां हैं, संबद्ध प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त/मुख्य आयकर आयुक्त की पूर्व प्रशासनिक मंजूरी के साथ करदाताओं को 31 अक्टूबर 2020 तक भेजा जा सकता है ’’
उल्लेखनीय है कि 2016-17 तक के आयकर रिफंड के पुराने लंबित मामलों का निपटान करने के लिये सीबीडीटी ने पिछले साल आदेश जारी किया था। उसमें लंबित ‘रिफंड के लिये दावा करने को कहा गया था और कर प्राधिकरण को 31 दिसंबर 2019 तक रिफंड जारी करने को कहा था।
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नांगियां एंड कंपनी एलएलपी के भागीदारी सैलेश कुमार ने कहा, ‘‘यह सरकार का स्वागत योग्य कदम है। इससे करदाताओं को न केवल अपना वैध रिफंड मिल पाएगा बल्कि उन्हें इस संकट वाले समय में नकदी की स्थिति कुछ सुधारने में मदद मिलेगी।’’
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