नयी दिल्ली, 16 मार्च भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह कतर में छह महीने से अधिक समय से हिरासत में बंद भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों की शीघ्र रिहाई को “उच्च प्राथमिकता” देता है।
कतर के अधिकारियों ने अभी तक उन भारतीयों के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कोई आरोप नहीं लगाया है जो निजी कंपनी ‘दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज’ के लिए काम कर रहे थे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “हम इस मामले को उच्च प्राथमिकता देते हैं। हमारे दूतावास द्वारा मामले के समाधान के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं ताकि हिरासत में लिए गए भारतीय नागरिकों की शीघ्र वापसी और प्रत्यावर्तन हो सके।”
वह इस मामले पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
भारतीय अधिकारियों को कई मौकों पर आठ लोगों तक राजनयिक पहुंच मुहैया कराई गई है।
वहीं एक अन्य सवाल को लेकर विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि काबुल में तालिबान शासन को मान्यता नहीं देने पर उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। यह टिप्पणी अफगान विदेश नीति निकाय द्वारा अधिकारियों को भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) पहल के तहत एक डिजिटल कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कहने की खबरों के बीच आई है।
अफगान विदेश मंत्रालय के तहत कूटनीति संस्थान ने कथित तौर पर काबुल में अधिकारियों को आईटीईसी पाठ्यक्रम के लिए पंजीकरण करने के लिए कहा, जिसे भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), कोझिकोड द्वारा आयोजित किया जाना था।
बागची ने यह भी कहा कि भारतीय पक्ष किसी भी संस्था को कोई ‘नोट वर्बल’ जारी नहीं करता है जिसे नई दिल्ली द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।
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