शिक्षा असल दौलत, जिसे चुराया नहीं जा सकता: मुख्यमंत्री एमके स्टालिन
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार को शिक्षा को असल दौलत करार दिया, जिसे कभी चुराया नहीं जा सकता. उन्होंने युवाओं से मन लगाकर पढ़ाई करने और जीवन में आगे बढ़ने की अपील की.
चेन्नई, 5 जुलाई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार को शिक्षा को असल दौलत करार दिया, जिसे कभी चुराया नहीं जा सकता. उन्होंने युवाओं से मन लगाकर पढ़ाई करने और जीवन में आगे बढ़ने की अपील की. स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु में उनके कॉलेज के दिनों के मुकाबले शिक्षा का परिदृश्य, खासकर उच्च शिक्षा का परिदृश्य काफी सुधर गया है और राज्य सरकार ने न केवल बुनियादी ढांचा विकसित किया है, बल्कि उच्च शिक्षा हासिल करने में छात्रों की मदद करने के लिए उन्हें वित्तीय मदद भी मुहैया कराई है. स्टालिन ने चेन्नई में मरीना बीच के सामने प्रेसीडेंसी कॉलेज के दीक्षांत समारोह में छात्रों को डिग्री सौंपने के बाद कहा, “मैं यहां न केवल मुख्यमंत्री, बल्कि मद्रास विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने से 17 साल पहले शुरू किए गए इस प्रतिष्ठित संस्थान के पूर्व छात्र के रूप में आपको बधाई देने और संबोधित करने आया हूं.”
उन्होंने कहा कि 1840 में स्थापित प्रेसीडेंसी कॉलेज तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कॉलेज था और इसे मद्रास विश्वविद्यालय की ‘जननी’ कहा जाता है, जिसे 17 साल बाद 1857 में शुरू किया गया था. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रेसीडेंसी कॉलेज ने सर पिट्टी त्यागराय, यू वे स्वामीनाथन, सी वी रमन और राजाजी सहित कई प्रख्यात हस्तियां तैयार की हैं. युवाओं से मन लगाकर पढ़ाई करने और जीवन में आगे बढ़ने की अपील करते हुए स्टालिन ने कहा, “शिक्षा असल दौलत है, जिसे कभी चुराया नहीं जा सकता. वे कहते हैं कि शिक्षा एक समुद्र की तरह है और यह कॉलेज वाकई समुद्र के पास बसा है. किसी अन्य कॉलेज की ऐसी संरचना कम ही देखने को मिलती है.” अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए स्टालिन ने कहा कि उन्होंने भले ही 15 जून 1972 को प्रेसीडेंसी कॉलेज में राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम में दाखिल लिया था, लेकिन द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के लिए प्रचार की जिम्मेदारी होने के कारण राजनीति का उन पर पहले से ही काफी गहरा प्रभाव था. यह भी पढ़ें : सड़क पर खड़े ट्रक से रोडवेज बस की टक्कर में युवक की मौत, दो अन्य घायल
मुख्यमंत्री ने बताया कि वह अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सके थे, क्योंकि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लागू किए गए आपातकाल के दौरान उन्हें आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) के तहत हिरासत में ले लिया गया था. स्टालिन ने कहा, “मैं अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाया. मीसा के तहत मुझे और द्रमुक के 500 से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया था. आपातकाल का विरोध करने वाली द्रमुक सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था.” उन्होंने बताया कि हिरासत अवधि में वह पुलिस सुरक्षा में कॉलेज पहुंचे थे और परीक्षा दी थी. शिक्षा परिदृश्य में सुधार का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार वित्तीय सहायता देकर और बुनियादी ढांचे में सुधार लाकर यह सुनिश्चित कर रही है कि उच्च शिक्षा तक सभी की पहुंच हो. स्टालिन ने घोषणा की कि प्रेसीडेंसी कॉलेज में पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के नाम पर 2,000 सीटों की क्षमता वाला एक मेगा सभागार स्थापित किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस विरासत संस्थान में पढ़ाई करने वाले 300 से अधिक निशक्त छात्रों के रहने के लिए एक छात्रावास बनाया जाएगा.