देश की खबरें | अवैध रेत खनन मामले में तमिलनाडु के जिलाधिकारियों को अनावश्यक परेशान न करे ईडी: न्यायालय

नयी दिल्ली, छह मई उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कहा कि वह तमिलनाडु के पांच जिलाधिकारियों को "अनावश्यक रूप से परेशान" न करे। न्यायालय की यह टिप्पणी राज्य सरकार की इस शिकायत पर आई कि कथित रेत खनन से संबंधित एक धनशोधन जांच के तहत संबंधित अधिकारियों को केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में रात साढ़े आठ बजे तक बैठाए रखा गया।

शीर्ष अदालत ने आदेशों के बावजूद ईडी के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं होने पर गत दो अप्रैल को पांचों जिलाधिकारियों की खिंचाई की थी और उन्हें 25 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से एजेंसी के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया था।

राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोमवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ को बताया कि जिलाधिकारी ईडी के सामने पेश हुए थे।

ईडी के वकील ने कहा कि वे पेश हुए थे लेकिन अभी तक उसे कोई विवरण या दस्तावेज नहीं सौंपा गया है।

सिब्बल ने ईडी के दावे का खंडन किया और कहा कि जांच एजेंसी ने समन के माध्यम से जो कुछ भी मांगा था वह सबकुछ दे दिया गया है।

ईडी के वकील ने कहा कि उनके पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, कोई ब्योरा या दस्तावेज नहीं सौंपा गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस संबंध में हलफनामा दाखिल कर सकते हैं।’’

पीठ ने ईडी के वकील से उन दस्तावेजों को निर्दिष्ट करने को कहा जो जिलाधिकारियों द्वारा अभी तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।

सिब्बल ने कहा, ‘‘वे (जिलाधिकारी) दिन में 11 बजे पहुंचे और उन्हें वहां रात साढ़े आठ बजे तक बैठाए रखा गया।’’

पीठ ने ईडी के वकील से कहा, ‘‘आप ऐसा नहीं कर सकते।’’

वकील के यह कहने पर कि वह इस बारे में पता करेंगे, पीठ ने कहा, ‘‘उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान न करें।’’

शीर्ष अदालत ने ईडी से रिपोर्ट दाखिल कर यह बताने को कहा कि उसने समन के जरिए कौन से दस्तावेज मांगे थे जो इन अधिकारियों द्वारा नहीं सौंपे गए हैं।

मामले में अगली सुनवाई अब जुलाई में होगी।

मद्रास उच्च न्यायालय ने पिछले साल 28 नवंबर को जांच के सिलसिले में वेल्लोर, तिरुचिरापल्ली, करूर, तंजावुर और अरियालुर के जिलाधिकारियों की पेशी के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा जारी समन पर रोक लगा दी थी।

ईडी ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था और कहा था कि इससे उसकी जांच प्रभावित होगी।

शीर्ष अदालत ने जिलाधिकारियों को राहत देने वाले उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी और कहा था कि तमिलनाडु तथा इसके अधिकारियों की याचिका "अजीब एवं असामान्य" है और इससे ईडी की जांच बाधित हो सकती है।

इसने 27 फरवरी के आदेश में पांचों जिलाधिकारियों को जांच के सिलसिले में ईडी के सामने पेश होने का निर्देश दिया था।

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