नयी दिल्ली, 30 अगस्त भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली अप्रैल-जून तिमाही में घटकर 15 महीने के निचले स्तर 6.7 प्रतिशत पर आ गई। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मुख्य रूप से कृषि और सेवा क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के चलते वृद्धि दर घटी है।
एक साल पहले वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही थी।
हालांकि, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था बना हुआ है। गौरतलब है कि अप्रैल-जून तिमाही में चीन की जीडीपी वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत रही है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने शुक्रवार को जारी आंकड़ों में बताया कि समीक्षाधीन तिमाही के दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर दो प्रतिशत रही। बीते वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही में यह आंकड़ा 3.7 प्रतिशत था।
दूसरी ओर विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि सालाना आधार पर पांच प्रतिशत से बढ़कर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सात प्रतिशत हो गई।
तिमाही आधार पर जीडीपी वृद्धि की न्यूनतम दर जनवरी-मार्च, 2023 में 6.2 प्रतिशत थी।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘भारत की जीडीपी वृद्धि अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही के मुकाबले वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में धीमी हो गई (7.8 प्रतिशत से घटकर पांच तिमाही के निचले स्तर 6.7 प्रतिशत पर)। हालांकि, इन तिमाहियों के बीच जीवीए वृद्धि आश्चर्यजनक रूप से तेज हो गई (6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत तक)।’’
उन्होंने बताया कि इस विरोधाभास की वजह शुद्ध अप्रत्यक्ष करों की वृद्धि में सामान्यीकरण है और ऐसे में हमारा मानना है कि जीडीपी वृद्धि में कमी चिंता का कारण नहीं है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, कृषि क्षेत्र में जीवीए (सकल मूल्य वर्धन) वृद्धि 3.7 प्रतिशत से घटकर दो प्रतिशत रह गई।
‘वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं’ में जीवीए वृद्धि भी सालाना आधार पर 12.6 प्रतिशत से घटकर 7.1 प्रतिशत रह गई।
हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए सालाना आधार पर पांच प्रतिशत से बढ़कर सात प्रतिशत हो गया।
एनएसओ ने बयान में कहा, ‘‘2024-25 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी या स्थिर कीमतों पर जीडीपी के सालाना आधार पर 40.91 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 43.64 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 6.7 प्रतिशत की वृद्धि है।’’
बयान में आगे कहा गया कि 2024-25 की पहली तिमाही में मौजूदा कीमतों पर जीडीपी के सालाना आधार पर 70.50 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 77.31 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 9.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
आंकड़ों के अनुसार, ‘खनन और संबद्ध’ क्षेत्र में उत्पादन (जीवीए) सालाना आधार पर सात प्रतिशत से बढ़कर 7.2 प्रतिशत हो गया।
बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवा खंड 3.2 प्रतिशत से बढ़कर 10.4 प्रतिशत पर पहुंच गया। निर्माण खंड में भी वृद्धि दर सालाना आधार पर 8.6 प्रतिशत से बढ़कर 10.5 प्रतिशत हो गई।
व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं की गति सालाना आधार पर 9.7 प्रतिशत से धीमी होकर 5.7 प्रतिशत रह गई।
नायर ने कहा कि निर्माण जीवीए वृद्धि में तेजी, जो 8.5 प्रतिशत से बढ़कर 11.6 प्रतिशत हो गई, विशेष रूप से आश्चर्यजनक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि निर्माण से संबंधित संकेतकों, जैसे सीमेंट और इस्पात उत्पादन में इन तिमाहियों के बीच वृद्धि धीमी हो गई थी।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में केंद्र और राज्यों के पूंजीगत व्यय में भी काफी कमी आई है।
लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो एक साल पहले 8.3 प्रतिशत थी।
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