देश की खबरें | डीयू, कॉलेजों ने लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों की अनदेखी की: डूसू चुनाव पर दिल्ली उच्च न्यायालय
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और इसके कॉलेजों के अधिकारी लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों के सही मायने को समझने में विफल रहे हैं, जिनमें छात्र संघ चुनावों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और मुद्रित पोस्टरों के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है।
नयी दिल्ली, 27 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और इसके कॉलेजों के अधिकारी लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों के सही मायने को समझने में विफल रहे हैं, जिनमें छात्र संघ चुनावों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और मुद्रित पोस्टरों के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है।
अदालत ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय और कॉलेजों के अधिकारियों ने लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों की अवहेलना की है।
नामित मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने 26 सितंबर के अपने आदेश में ये टिप्पणियां कीं। इसे शुक्रवार को उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।
अदालत ने अपने इस आदेश के जरिये पोस्टर, होर्डिंग हटाए जाने और भित्तिचित्रों को मिटाये जाने तथा सार्वजनिक संपत्ति को पूर्व रूप में लाने तक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनावों की मतगणना रोक दी है।
डूसू चुनाव के लिए शुक्रवार को यहां विश्वविद्यालय के उत्तरी और दक्षिणी परिसरों (नॉर्थ और साउथ कैम्पस) में कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान जारी है।
घोषित कार्यक्रम के अनुसार, मतों की गिनती शनिवार को होनी थी।
पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत को ऐसा भी लगता है कि दिल्ली विश्वविद्यालय और डीयू के कॉलेजों के वरिष्ठ प्रबंधन इस अदालत द्वारा स्वीकार किए गए लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों के वास्तविक महत्व और आवश्यकता को समझने में लापरवाही बरत रहे हैं।’’
रिकॉर्ड पर रखे गए वीडियो और तस्वीरों को देखने के बाद, अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया उसका मानना है कि डूसू और डीयू के कॉलेज के चुनावों में धन एवं बाहुबल का व्यापक उपयोग हुआ है जो लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।
पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत का मानना है कि चुनाव, जिसे लोकतंत्र का त्योहार माना जाता है, को धनशोधन और सार्वजनिक संपत्ति के विरूपण के त्योहार में बदल दिया गया है। कुछ मायनों में, यह शिक्षा प्रणाली की विफलता को दर्शाता है।’’
अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय को विरूपण सामग्री हटाने में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), सरकारी विभागों और दिल्ली मेट्रो सहित नगर प्राधिकारों द्वारा किए गए खर्च का भुगतान करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि विश्वविद्यालय को इसके बाद, लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों के अनुसार उम्मीदवारों से राशि वसूलने का अधिकार होगा।
अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सार्वजनिक दीवारों की सुंदरता को नुकसान पहुंचाने, विकृत करने, गंदा करने या नष्ट करने में शामिल संभावित डूसू उम्मीदवारों और छात्र संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता और पेशे से वकील प्रशांत मनचंदा ने कहा कि संबंधित उम्मीदवारों और उनके दलों को विरूपण सामग्री हटाने और क्षेत्रों का नवीनीकरण करने तथा नष्ट हुए हिस्सों के सौंदर्यीकरण के लिए प्रयास करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।
अदालत ने डीयू में पढ़ने वाले छात्रों के एक समूह और कुछ वकीलों की एक अन्य याचिका पर भी सुनवाई की।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)