अनुच्छेद 370 पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से निराश उमर अब्दुल्ला ने कहा, निराश हैं, लेकिन संघर्ष जारी रहेगा
Omar Abdullah | ANI

श्रीनगर, 11 दिसंबर: नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से निराश हैं, लेकिन निरुत्साहित नहीं हैं. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने में दशकों लगे और अब वह भी लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं.

अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हम लंबे संघर्ष के लिये तैयार हैं.’’ ‘एक्स’ पर एक के बाद एक कई पोस्ट में अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों से माफी भी मांगी. उन्होंने कहा, ‘‘निराश हूं, लेकिन निरुत्साहित नहीं हूं. संघर्ष जारी रहेगा.’’ उन्होंने उम्मीद न खोने का संदेश देते हुए मशहूर शायर फैज अहमद फैज का एक शेर भी साझा किया. नेकां नेता ने कहा, ‘‘दिल नाउम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है, लंबी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है.’’

उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के सरकार के पांच अगस्त 2019 के फैसले को बरकरार रखते हुए सोमवार को कहा कि अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए.

उमर अब्दुल्ला के बेटे जमीर अब्दुल्ला ने कहा कि न्यायालय के फैसले ने लोगों को निराश किया है. ‘एक्स’ पर एक के बाद एक किए गए कई पोस्ट में जमीर ने कहा, “जब सब तरफ से निराशा हाथ लगती है, तो लोग अपने अधिकारों की रक्षा और उन्हें कायम रखने के लिए देश की सर्वोच्च अदालत की ओर देखते हैं. बढ़ी हुई आशाओं के साथ जम्मू-कश्मीर के लोगों ने अपने हक के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.”

उन्होंने कहा, “भारी मन से मैं कहता हूं कि माननीय न्यायालय ने आज अपने फैसले से लोगों को निराश किया है.” 'एक्स' पर उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए शीर्ष अदालत को समझाने में विफल रहने पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों से माफी मांगी. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा, “दुर्भाग्य से, हम पांच न्यायाधीशों को राजी नहीं कर सके और इसके लिए, मैं जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और देश के उन लोगों से माफी मांगता हूं जो चाहते थे कि हम सफल हों. हमारी कोशिशें यहां खत्म नहीं होंगी.”

अब्दुल्ला ने कहा, “मैं श्रीनगर में अपने घर पर हूं और आपको संबोधित कर रहा हूं क्योंकि गेट पर ताला लगा दिया गया है और मुझे किसी से मिलने की इजाजत नहीं दी जा रही है.” उन्होंने कहा, “हमें इस तरह के फैसले की उम्मीद नहीं थी। हमने न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाया क्योंकि हमें न्याय की उम्मीद थी. मुझे इस बात का संतोष है कि शायद हम इससे अधिक कुछ नहीं कर सकते थे मुझे नहीं लगता कि हमारे वकील कपिल सिब्बल और गोपाल सुब्रमण्यम इससे ज्यादा कुछ कर सकते थे. अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी यह देखने के लिए वकीलों से परामर्श करेगी कि क्या आगे कानूनी रास्ता अपनाने की कोई संभावना है.

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