जीएसटीआर फॉर्म में अनजानी गलतियों को दूर करने की मंजूरी दे कर विभागः उच्च न्यायालय

बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कर विभाग से कहा कि अगर फॉर्म भरने में अनजाने में या प्रामाणिक गलती हुई हो लेकिन उससे सरकारी खजाने को कोई नुकसान न हो रहा हो तो कंपनियों को जीएसटीआर-1 फॉर्म में संशोधन या बदलाव करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

Bombay High Court (Photo Credit: Wikimedia Commons )

मुंबई, 14 दिसंबर: बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कर विभाग से कहा कि अगर फॉर्म भरने में अनजाने में या प्रामाणिक गलती हुई हो लेकिन उससे सरकारी खजाने को कोई नुकसान न हो रहा हो तो कंपनियों को जीएसटीआर-1 फॉर्म में संशोधन या बदलाव करने की अनुमति दी जानी चाहिए. न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि कर विभाग को ऐसी अनजानी और वास्तविक गलतियों को पहचानना चाहिए, खासकर तब जब उसे पता हो कि सरकार को इससे राजस्व का कोई नुकसान नहीं हुआ है.

अदालत ने कहा, "विभाग को ऐसे मामलों में बेवजह मुकदमेबाजी से बचने और प्रणाली को करदाता के अधिक अनुकूल बनाने की जरूरत है. इस तरह के दृष्टिकोण से करों के संग्रह में राजस्व के हित को भी बढ़ावा मिलेगा." इसके साथ ही अदालत ने याचिका दायर करने वाली कंपनी स्टार इंजीनियर्स (आई) प्राइवेट लिमिटेड को अपने जीएसटीआर-1 फॉर्म में ऑनलाइन या भौतिक रूप से जरूरी संशोधन करने या गलतियां ठीक करने की मंजूरी दे दी.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि ये गलतियां अनजाने में और वास्तविक थीं और इससे थोड़ा भी लाभ नहीं लिया गया. कंपनी ने महाराष्ट्र जीएसटी विभाग के उपायुक्त की तरफ से 27 सितंबर, 2023 को जारी नोटिस को चुनौती दी थी जिसमें वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए अपने फॉर्म जीएसटीआर -1 को संशोधित करने की अनुमति देने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि यह काम एक समयसीमा तक ही हो सकता है.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि जब रिटर्न दाखिल करते समय कोई विवरण देने में प्रामाणिक और अनजाने में गलती होती है, तो उसमें संशोधन की अनुमति दी जानी चाहिए, बशर्ते किसी तरह की राजस्व क्षति न हुई हो. गलत विवरण वाले जीएसटी रिटर्न को अटल मानने की जरूरत नहीं है.

अदालत ने कहा, "जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में होने वाली अनजानी मानवीय त्रुटियों के मामलों पर विचार करते समय इस तथ्य को ध्यान में रखना जरूरी है।" अदालत ने कहा कि जीएसटी प्रणाली काफी हद तक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम पर आधारित है लिहाजा इस प्रणाली को अपनाने वाले करदाताओं के बीच अनजाने में और वास्तविक मानवीय त्रुटियां होने की संभावना रहती है.

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