नयी दिल्ली, आठ अप्रैल दिल्ली पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय में मंगलवार को कहा कि जेएनयू की छात्राएं नताशा नरवाल और देवांगना कलिता एक ऐसी बड़ी साजिश का हिस्सा थीं जिससे देश की एकता, अखंडता और समरसता को खतरा हो सकता था।
नरवाल और कलिता को पिछले साल उत्तरी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के संबंध में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने यह दलील नरवाल और कलिता की ओर से जमानत को लेकर दायर याचिकाओं के जवाब में दी।
इन याचिकाओं में एक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें कलिता और देवांगना की ओर से दायर जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया गया था।
उक्त आरोपियों पर दंगों से जुड़े मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए)के तहत प्राथमिकी दर्ज है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को करने का आदेश दिया।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक अमित महाजन ने याचिकाओं का विरोध किया और दावा किया कि नरवाल और कलिता को दंगों के दौरान किए जा रहे क्रियाकलाप और उसके परिणामों की पूरी जानकारी थी।
उन्होंने कहा कि आरोपियों के विरुद्ध मामला न केवल चश्मदीदों के बयान पर आधारित है और इन साजिशों को कैमरे पर रिकॉर्ड नहीं किया जा सकता और यह परिस्थिति जन्य साक्ष्यों से साबित होता है।
उन्होंने कहा, “अपीलकर्ता उस बड़ी साजिश का हिस्सा थे जिससे देश की एकता अखंडता और समरसता को खतरा पैदा हो सकता था। यह जरूरी नहीं है कि वह हर कृत्य में शामिल रही हों। उन्हें पूरे क्रियाकलाप की जानकारी थी इसलिए उन पर यूएपीए की धारा 15 के तहत मामला बनता है।”
इसके साथ ही महाजन ने आरोपियों और अन्य के बीच हुई व्हाट्सएप बातचीत भी पढ़कर सुनाई।
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