नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगे से जुड़े तीन मामलों में सोमवार को एक व्यक्ति को यह कहते हुए जमानत दे दी कि ‘अवैध रूप से इकट्ठा होने’ के लिए कम से कम पांच व्यक्ति चाहिए जो इन सभी मामलों में नहीं है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि जांच एजेंसी ढोल पीट रही है कि मामलों की जांच चल रही है और इन मामलों में ‘अवैध रूप से इकट्ठा होने’ से जुड़े बाकी लोग पहचाने जाने हैं और गिरफ्तार किये जाने हैं।
अदालत ने नूर मोहम्मद को खजुरी खास इलाके में दंगे और दुकानों में तोड़फोड़ से जुड़े तीन मामलो में 20,000 रूपये के जमानती बांड और उतने के ही तीन अलग अलग मुचलके पर जमानत दे दी।
अदालत ने कहा कि ये घटनाएं 24 फरवरी को हुई थीं और अब तक पुलिस नूर के सिवाय ‘तथाकथित अवैध रूप से इकट्ठा होने’ के किसी अन्य सदस्य की पहचान नहीं कर पायी। न्यायाधीश यादव ने कहा कि उसे बस इसलिए अनिश्चितकाल तक जेल में रहने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है कि मामलों की जांच चल रही है।
अदालत ने कहा, ‘‘ यह उल्लेखनीय है कि सभी तीनों मामलों में एकमात्र आरोपी आवेदक (नूर) के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया है। भादंसं की धारा 141 के तहत अवैध रूप से इकट्ठा होने के लिए कम से कम पांच सदस्य हों जो इन तीनों मामलों में नहीं है। ... ।’’
नूर के वकील अख्तर शमीम ने कहा कि उनके मुवक्किल को गलत तरीके से फंसाया गया है। हालांकि दिल्ली पुलिस के वकील मनोज चौधरी ने जमानत अर्जियों का विरोध करते हुए कहा कि इलाके में 153 मामले दर्ज किये गये और उनकी जांच की जा रही है तथा नूर की भूमिका साजिश का हिस्सा होने को लेकर व्यक्तिगत और सामूहिकता की दृष्टि से जांच के दायरे में है।
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