Delhi pollution: एनजीटी ने व्यापक रोकथाम योजना, जिम्मेदार कारकों पर अध्ययन का निर्देश दिया

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली में वायु गुणवत्ता स्वीकार्य स्तर पर बनाये रखने को सुनिश्चित करने के लिए संबंधित प्राधिकारों को ‘एक व्यापक रोकथाम योजना’ बताने का निर्देश दिया है.

वायु प्रदूषण (Photo Credits: PTI)

नयी दिल्ली, एक दिसंबर : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली में वायु गुणवत्ता स्वीकार्य स्तर पर बनाये रखने को सुनिश्चित करने के लिए संबंधित प्राधिकारों को ‘एक व्यापक रोकथाम योजना’ बताने का निर्देश दिया है. एनजीटी ने पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन की योजना के साथ वायु प्रदूषण पैदा करने वाले जिम्मेदार कारकों पर ‘‘व्यापक अध्ययन’’ कराए जाने को भी कहा है. एनजीटी एक मामले की सुनवाई कर रहा था, जहां उसने दिल्ली और एनसीआर में खराब होती वायु गुणवत्ता के संबंध में मीडिया की एक खबर का स्वत: संज्ञान लिया था.

इससे पहले, एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) तथा एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) समेत संबंधित प्राधिकारों को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में सुधार के लिए ‘‘कड़े कदम’’ उठाने का निर्देश दिया था. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि 19 से 28 नवंबर तक, एक्यूआई के अनुसार पूरे एनसीआर में हवा की गुणवत्ता ‘‘बहुत खराब’’ रही और 24 नवंबर को ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में चली गई. पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल हैं. यह भी पढ़ें : BJP on ‘Main Bhi Kejriwal’ Campaign: फ्लॉप हो गया आप का ‘मैं भी केजरीवाल’ अभियान- भाजपा

अधिकरण ने कहा कि प्राधिकारों को ‘‘दिल्ली में हवा की गुणवत्ता उचित स्वीकार्य स्तर पर बनाये रखने को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक रोकथाम योजना बतानी होगी.’’ पीठ ने कहा, ‘‘प्राधिकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है कि क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी)-एक को भी लागू करने की आवश्यकता न पड़े.’’ एनजीटी ने कहा कि हवा की गुणवत्ता में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारकों का पता लगाने के लिए ‘‘व्यापक अध्ययन’’ की आवश्यकता है. एनजीटी ने विषय की अगली सुनवाई के लिए छह दिसंबर की तारीख तय की.

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