नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली आबकारी नीति ‘घोटाले’ के बारे में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से कई सवाल पूछे और धनशोधन रोधी एजेंसी से बताने को कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मामला कैसे बनाया गया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि महज इसलिए कि कुछ लॉबी या दबाव समूहों ने एक निश्चित नीति परिवर्तन की मांग की थी, इसका मतलब यह नहीं है कि भ्रष्टाचार या अपराध हुआ था जब तक कि रिश्वतखोरी का कोई तत्व शामिल न हो।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की एक पीठ ने भ्रष्टाचार और धनशोधन मामलों में सिसोदिया की कथित संलिप्तता पर दोनों संघीय एजेंसियों से सवाल पूछे और टिप्पणी की कि वे मामले निचली अदालत के सामने “दो सवाल” नहीं झेल पाएंगे।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी दोनों की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू को पीठ ने बताया, “हम समझते हैं कि नीति में बदलाव हुआ है और हर कोई उन नीतियों का समर्थन करेगा जो व्यवसाय के लिए अच्छी हैं। दबाव समूह हमेशा रहते हैं लेकिन पैसों पर विचार किए बिना नीति में बदलाव से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह पैसे का हिस्सा है जो इसे अपराध बनाता है। अगर हम इस हद तक कहें कि कोई दबाव समूह नहीं हो सकता, कोई सरकार काम नहीं कर सकती...लॉबिंग हमेशा रहेगी। निस्संदेह, रिश्वत स्वीकार नहीं की जा सकती।”
राजू ने कहा कि नीति इस तरह से बनाई गई है कि थोक विक्रेताओं को फायदा हो और शराब कारोबार में उनके मुनाफे की हिस्सेदारी बढ़े।
उन्होंने आरोप लगाया, “पुरानी नीति के तहत, आपको रिश्वत प्राप्त करने का कोई तरीका नहीं था और इसलिए, नीति में बदलाव की आवश्यकता पैदा हुई।” उन्होंने कहा कि पुरानी आबकारी नीति के तहत थोक विक्रेताओं के लिए पांच फीसदी मुनाफा तय था, जबकि नयी के तहत इसे बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है।
पीठ ने कहा कि सिसौदिया के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए भ्रष्टाचार के मामले में अधिकांश आरोप “अफवाह” थे, जो सरकारी गवाह द्वारा दिए गए बयानों पर आधारित थे और बिना किसी ठोस सामग्री के निचली अदालत के समक्ष जांच में पारित नहीं होंगे।
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, “जिरह में दो प्रश्न और यह असफल हो जाएगा।”
शीर्ष अदालत क्रमशः सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार और धनशोधन मामले में सिसोदिया की दो अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
पीठ ने ईडी से यह भी पूछा कि सिसौदिया पर धनशोधन के अपराध के लिए कैसे मामला दर्ज किया जा सकता है, जबकि अपराध की कथित आय से उनके संबंध का कोई सबूत नहीं है।
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